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आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से राहत, रामपुर में चुनाव को लेकर दिया बड़ा निर्देश

सपा विधायक आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रामपुर में उपचुनाव कराने को लेकर फिलहाल पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने रामपुर सत्र अदालत को आदेश दिया है कि वह पहले आजम खान की अपील पर विचार करे. इसके बाद आयोग चुनाव को लेकर कोई फैसला ले.

आजम खान की याचिका पर 10 नवंबर को सेशन्स कोर्ट में होगी सुनवाई (फाइल फोटो) आजम खान की याचिका पर 10 नवंबर को सेशन्स कोर्ट में होगी सुनवाई (फाइल फोटो)
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:40 PM IST

सपा विधायक आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रामपुर में उपचुनाव कराने को लेकर फिलहाल अभी पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने रामपुर सत्र अदालत को आदेश दिया है कि वह पहले आजम खान की अपील पर विचार करे. इसके बाद चुनाव आयोग को नतीजे के आधार पर 11 नवंबर को या उसके बाद रामपुर विधानसभा सीट के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के लिए एक गजट अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया. वहीं सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए चुनाव आयोग ने रामपुर उपचुनाव की अधिसूचना अगले आदेश तक रोक दी है.

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मालूम हो कि आजम खान को रामपुर कोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी करार दिया था. उन्हें तीन साल की सजा सुनाई गई. सपा नेता ने इस आदेश को सेशन्स कोर्ट में चुनौती दी. इस मामले में अब 10 नवंबर को सुनवाई होने है. वहीं इस बीच दोषी ठहराए जाने के बाद सपा नेता की विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई और रामपुर सीट पर उपचुनाव की घोषणा कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को आजम खान की विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने के मामले में यूपी सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था.

इस मामले में आजम को सुनाई गई है सजा

जिस मामले में आजम खान को ये सजा हुई है,वो 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान का है. कथित रूप से आजम खान ने रामपुर की मिलक विधानसभा में एक चुनावी भाषण के दौरान आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणियां की थीं. इसकी शिकायत भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने की थी. इसी मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट 27 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाते हुए आजम खान को दोषी करार दिया है. 

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अब आजम की सदस्यता इसलिए रद्द की गई है क्योंकि साल 2002 में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में किए गए संशोधन के मुताबिक सजा की अवधि पूरी होने के बाद छह साल तक चुनाव लड़ने की पाबंदी रहती है. पहले ये पाबंदी फैसला सुनाने के दिन से ही लागू होती थी. लेकिन उसमें तकनीकी खामियां दिखीं. इसके बाद संसद ने इसमें संशोधन किया. इसके मुताबिक सजा प्राप्त व्यक्ति अपनी सजा पूरी करने के बाद भी छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेगा.

 

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