
सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी को गलत बताने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को फिर से सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान जस्टिस नजीर बोले- माफ करें, मैं बहुत ज्यादा सवाल कर रहा हैं. इस मामले की कानूनी स्थिति क्या है? इस पर चिदंबरम ने कहा कि मेरी समझ से भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम किसी भी नोट की सीरीज बंद करने की शक्ति नहीं देता है.
उन्होंने कहा कि अगर आप किसी नोट की सभी सीरीज की बंद करने की घोषणा करना चाहते हैं तो इसके लिए एक अलग कानून की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता पूर्व अध्यादेश को भूल जाइए. 1978 में सरकार नोटबंदी करना चाहती थी. अगर 26(2) में शक्ति थी तो उन्होंने अलग कानून क्यों पारित किया?
एक्टिंग सरकार को नहीं दी जानी चाहिए नोटबंदी की अनुमति
चिदंबरम बोले कि यह कहना इतना बेतुका और अनुचित है कि किसी भी सीरीज का मतलब सभी सीरीज होता है. उन्होंने कहा कि 'किसी भी श्रृंखला' के मायने निकालने के लिए आरबीआई को अपने दिमाग का इस्तेमाल करना होगा और यह तय करना होगा कि नोटों की किस सीरीज को बंद करना चाहिए और फिर सरकार से इसकी सिफारिश करनी चाहिए.
उन्होंने कोर्ट से कहा कि आपकी लॉर्डशिप यह तय कर सकती है कि भविष्य में ऐसा न हो. यह स्पष्ट हो जाएगा कि इस तरह की शक्ति का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे पूरा देश में अराजकता फैल सकती है. उन्होंने कहा कि जो भी सरकार आएगी, वह ऐसा करेगी. उन्होंने कोर्ट से अपील की कि किसी भी कार्यकारी सरकार को ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
चिदंबरम ने दो केसों से समझाया नोटबंदी का उद्देश्य
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि आपको हमें बताना होगा कि देश में नोटबंदी का क्या उद्देश्य है? इस पर चिदंबरम ने कहा कि सिर्फ 2 केसों- आरबीआई का इतिहास और तत्कालीन गवर्नर की टिप्पणी के जरिए वह मामले को समझाना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि डिमोनेटाइजेशन का सहारा उन परिस्थितियों में लिया जाता है, जिनमें नोट व्यावहारिक रूप से अनुपयोगी हो जाते हैं. ऐसे में अगर आपके पास 50 हजार के नोट हैं, तो क्या फायदा?
वहीं उन्होंने दूसरा उदाहरण देते हुए कहा कि अति मुद्रास्फीति की स्थिति में नोटों की कीमत व्यावहारिक रूप से कुछ नहीं रह जाती. वह सिर्फ कागज के टुकड़े ही रह जाते हैं. उन्होंने कहा कि जिम्बाब्वे में आपको खाना खरीदने के लिए पैसों से भरे एक बैग की जरूरत होती है. ऐसे ही हालात अर्जेंटीना और तुर्की में हैं. उन्होंने कहा कि अगर करेंसी बेकार हो गई है तो आप नोटबंदी करें और इसे नई मुद्रा के साथ बदलें.
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर चुकी है सरकार
केंद्र सरकार ने 16 नवंबर को नोटबंदी का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. इसमें सरकार ने कहा था कि जाली मुद्रा और टेरर फंडिंग का मुकाबला करने के लिए नोटबंदी प्रभावी उपाय है.
इसके अलावा 'ब्लैकमनी, टैक्स चोरी आदि जैसे वित्तीय अपराधों का मुकाबला करने के लिए भी नोटबंदी प्रभावी उपाय है. समस्याओं का अध्ययन करने के बाद केंद्र ने इस प्रभावी उपाय पर सकारात्मक रूप से ध्यान दिया. केंद्र ने अपने कदम के समर्थन में कहा है कि नोटबंदी का ये फैसला भारतीय रिजर्व बैंक RBI की सिफारिश कर लिया गया था.'
नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इसकी संवैधानिक वैधता को लेकर सवाल पूछा था. 5 जजों की संविधान पीठ ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक से नोटबंदी के फैसले पर जवाब मांगा था. अदालत ने केंद्र और आरबीआई से 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को लेकर व्यापक हलफनामा दाखिल करने को कहा था.