
बिलकिस बानो केस में दोषियों को समय से पहले रिहा किए जाने के मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले जस्टिस बेला त्रिवेदी ने खुद को अलग कर लिया है. इस केस में सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस अजय रस्तोगी को सुनवाई करनी थी. आज जैसे ही जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की बेंच के समक्ष केस आया तो जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि उनकी साथी जज इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहेंगी. जस्टिस रस्तोगी की अध्यक्षता वाली बेंच ने आदेश दिया कि मामले को ऐसी बेंच के सामने लिस्ट करें जिसमें हम में से कोई सदस्य ना हो. बेंच ने जस्टिस त्रिवेदी के सुनवाई से अलग होने का कोई कारण नहीं बताया.
बिलकिस की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में शीतकालीन अवकाश होने वाला है. बेंच ने हालांकि कहा कि अदालत पहले ही मामले का संज्ञान ले चुकी है और जवाबी हलफनामा भी दाखिल किया जा चुका है. बेंच उन दलीलों के एक बैच का जिक्र कर रही थी जो पहले से ही SC के समक्ष पेंडिंग हैं और जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा सुनवाई की जा रही है. कोर्ट ने 25 अगस्त 2022 को पहली याचिका पर नोटिस जारी किया था, जब पूर्व सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने मामले की सुनवाई की थी.
समय से पहले रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
बता दें कि 2002 में गुजरात दंगों के दौरान गोधरा में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था. उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. इस केस में राज्य सरकार द्वारा सभी 11 दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया है. बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की हैं. पहली याचिका में उन्होंने एक दोषी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के 13 मई, 2022 के आदेश की समीक्षा की मांग की है. कोर्ट ने अपने आदेश में गुजरात सरकार से 9 जुलाई, 1992 की एक नीति के तहत दोषियों की समय से पहले रिहाई की याचिका पर विचार करने के लिए कहा था.
दूसरी याचिका में उन्होंने गुजरात सरकार के दोषियों के रिहा करने के फैसले को चुनौती है. जिस पर मंगलवार को जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच में सुनवाई होनी थी, लेकिन जस्टिस त्रिवेदी ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया. बानो ने 15 अगस्त को दोषियों की रिहाई में छूट देने के खिलाफ याचिका में कहा है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून की जरूरत को पूरी तरह से अनदेखा करते हुए एक मेक्निकल आदेश पारित किया है.
घटना के वक्त 5 महीने की गर्भवती थी बिलकिस
बताते चलें कि बिलकिस बानो 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी, जब गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के दंगों से भागते समय उसके साथ गैंगरेप किया गया था. मारे गए परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी. इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे को महाराष्ट्र की एक अदालत में ट्रांसफर कर दिया था.
अगस्त में रिहा किए गए 11 दोषी
मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. उनकी सजा को बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. इसी साल इस केस में नया मोड तब आया, जब गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा की उप-जेल से रिहा कर दिया था. ये सभी लोग जेल में 15 साल से ज्यादा का समय पूरा कर चुके थे.