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बेल की कॉपी न मिलने से रिहा नहीं हो पाए कैदी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हर जेल में हो इंटरनेट की व्यवस्था

चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा, हम कोर्ट के आदेशों का तेजी से और प्रमाणिक प्रसारण के लिए FASTER योजना शुरू कर रहे हैं. उन्होंने इस मामले में कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल से रिपोर्ट मांगी है और कहा है कि हमें आशा है कि एक महीने में यह योजना शुरू हो जाएगी.

Supreme court Supreme court
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST
  • कोर्ट ने कहा- हम इंटरनेट के जमाने में रह रहे
  • जेलों में इंटरनेट की व्यवस्था हो- कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत दिए जा चुके कैदियों को रिहा ना करने के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुके कुछ कैदियों को सिर्फ इसलिए रिहा नहीं किया गया, क्योंकि स्पीड पोस्ट से जेल तक आदेश की प्राधिकृत कॉपी नहीं पहुंची थी. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमणा की बेंच ने राज्यों से सभी जेलों में इंटरनेट व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा, ताकि कोर्ट के आदेश सीधे जेल अधिकारियों तक पहंच सके और जमानत पा चुके कैदियों को जल्द से जल्द रिहा किया जा सके.  

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इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय और सभी राज्यों की लीगल सर्विस अथॉरिटी से कोरोना महामारी के दौरान कैदियों को पैरोल और जमानत देने में पालन की गई गाइडलाइन के बारे में जानकारी मांगी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार तक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है. मामले में अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि जिन कैदियों को कोरोना महामारी में रिहा किया गया है, उनसे अगले आदेश तक आत्मसमर्पण करने के लिए ना कहा जाए. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम तकनीक के समय में रह रहे

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि कई बार कैदियों द्वारा आदेश की फर्जी कॉपी दाखिल की जाती है. इसलिए जेल प्रशासन अब स्टांप लगी हुई प्राधिकृत कॉपी मांगता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा, हम कोर्ट के आदेशों का तेजी से और प्रमाणिक प्रसारण के लिए FASTER योजना शुरू कर रहे हैं. उन्होंने इस मामले में कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल से रिपोर्ट मांगी है और कहा है कि हमें आशा है कि एक महीने में यह योजना शुरू हो जाएगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम तकनीक के जमाने में रह रहे हैं. कोर्ट के आदेश ऑनलाइन अपलोड होते हैं. ऐसे में सभी राज्यों को सुनिश्चित करना चाहिए कि जेलों में इंटरनेट की व्यवस्था हो. 

आदेश देखने में सक्षम हों जेल अधिकारी

कोर्ट ने कहा कि  जेल अधिकारी यह देखने में सक्षम हों कि वे अदालत की वेबसाइट पर यह देख सकें कि आदेश अपलोड हुआ या नहीं. जस्टिस राव ने कहा, नई योजना कोर्ट के आदेशों तक सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करने के लिए है. अभी भी आदेश ऑनलाइन अपलोड किए जाते हैं. लेकिन नई व्यवस्था शुरू होने के बाद इन्हें जेलों तक आसानी से पहुंचाया जा सकेगा. 

दुष्यंत दवे भी करेंगे मुलाकात

नई योजना पर काम करने के लिए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे भी सेक्रेटरी जनरल से मुलाकात करेंगे. कोर्ट के आदेशों को सीधे जेल अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट नई व्यवस्था शुरू करेगा, ताकि कैदियों की रिहाई जल्द हो सके

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