
राज्यों में डीजीपी (DGP) नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शुक्रवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने नगालैंड में DGP की नियुक्ति को लेकर अपने निर्णय पर यूपीएससी (UPSC) के द्वारा 60 दिन का समय और मांगा था. मगर, कोर्ट ने आयोग की इस मांग को अस्वीकार कर दिया.
कोर्ट ने इस पर 19 दिसंबर तक अंतिम निर्णय लेने को कहा है. कोर्ट के फैसले का पालन नहीं होने पर दाखिल याचिका को लेकर सीजेआई (CJI) की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश दिया है.
कोर्ट ने यूपीएससी को फटकार लगाते हुए कहा, ''सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने के लिए वह बाध्य है. यदि 19 दिसंबर तक डीजीपी की नियुक्ति पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता है, तो हम यूपीएससी, एमएचए और नगालैंड सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करेंगे.''
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में प्रकाश सिंह की याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य में डीजीपी की नियुक्तियों के लिए मनमानी प्रक्रिया अपनाई जा रही है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश स्पष्ट हैं, लेकिन उनका पालन नहीं किया जा रहा है.
तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से हो चयन
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य के डीजीपी का चयन राज्य सरकार द्वारा विभाग के तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से किया जाएगा. यूपीएससी अधिकारियों की सेवा की अवधि, अच्छे रिकॉर्ड और अनुभव के आधार पर इन अधिकारियों को नामित करेगा.
दो साल के कार्यकाल की कोर्ट ने कही थी बात
साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि नियुक्त किए जाने वाले डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल का होना चाहिए. भले ही उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो. इसके अलावा कोर्ट ने कहा था कि डीजीपी के चयन के लिए यूपीएसपी द्वारा सिफारिश किए गए उम्मीदवारों की सेवानिवृत्ति में कम से कम छह महीने का कार्यकाल बचा हो. ऐसे ही अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए.