
एमाइकस क्यूरे विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश भर की विशेष अदालतों ने जन प्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में से 2 हजार से ज्यादा मामलों का पिछले साल फैसले सुनाए हैं. न्याय मित्र विजय हंसारिया ने यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दी है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है. जिसमें मांग की गई है कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई में तेजी लाई जानी चाहिए.
विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा कि कोर्ट से मिले दिशा-निर्देशों के बाद एमपी/एमएलए कोर्ट में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई में तेजी आई है. हालांकि, कोर्ट से और भी दिशा-निर्देश दिए जाने चाहिए, ताकि लंबित मामलों की भी जल्द सुनवाई हो सके.
रिपोर्ट के मुताबिक, एमपी-एमएलए जैसे जन प्रतिनिधियों के खिलाफ 1 जनवरी, 2023 तक 4697 आपराधिक मामले दर्ज थे. उनमें से लगभग आधे यानी 2018 मामलों में बीते साल फैसला हो चुका है.
पिछले साल दर्ज हुए 1746 नए मामले
वहीं, पिछले साल 2023 में सांसदों विधायकों के खिलाफ 1746 नए मामले दर्ज हुए. ऐसे में 1 जनवरी 2024 तक नेताओं के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों की कुल संख्या 4474 हो गई है.
सीनियर वकील विजय हंसारिया ने एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में कुल 2810 उम्मीदवारों में से 501 उम्मीदवार यानी कि 18 प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं. इनमें से भी 327 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें जनप्रतिनिधि अगर दोषी पाए गए तो उन्हें पांच साल या ज्यादा की सजा हो सकती है.
सबसे ज्यादा दिल्ली में हुआ मामला का निपटारा
हलफनामे के अनुसार, यूपी की एमपी-एमएलए कोर्ट में दर्ज 1300 मामलों में से 766 बीते साल निपटाए गए. दिल्ली में दर्ज 105 मामलों में से 103 का निपटारा बीते साल कर दिया गया. इसी तरह महाराष्ट्र में 476 मामलों में से 232 में फैसला हो गया. बंगाल के 26 में से 13, कर्नाटक में 226 में से 150, केरल में 370 में से 132 और बिहार में 525 मामलों में से 171 मामलों में फैसला हो चुका है.