
उद्धव ठाकरे गुट के सांसदों ने उन्हें पद से हटाने के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के फैसले को सुप्रीम कोर्ट चुनौती दी है. ठाकरे गुट के सांसद विनायक राउत और राजन विचारे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें अवैध और एकतरफा तरीके से पद से हटा दिया है. उन्होंने लोकसभा में राहुल शेवाले की शिवसेना दल के नेता और भावना गवली की शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्तियों को रद्द करने की मांग की है.
लेटर लिखने के बाद भी स्पीकर ने सांसदों को पद से हटाया
ठाकरे गुट के 19 में 12 सांसदों के बागी होने की खबर के बाद 18 जुलाई को शिवसेना के सदन के नेता विनायक राउत ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा था कि वे शिवसेना संसदीय पार्टी के विधिवत नियुक्त नेता हैं और राजन विचारे चीफ व्हिप हैं. उन्होंने स्पीकर से कहा था कि शिंदे गुट से अगर को नया नेता या चीफ व्हिप नियुक्त करने की मांग करता है तो उसके अनुरोध को स्वीकार न किया जाए.
हालांकि एक दिन बाद ही शिंदे गुट के 12 सांसदों ने स्पीकर से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने स्पीकर से शिवसेना सांसद राहुल शिवाले को सदन में शिवसेना दल के नेता के रूप में मान्यता देने के लिए कहा था. इसके बाद स्पीकर ने विनायक राउत को दल के नेता और राजन विचारे को मुख्य सचेतक पद से हटा दिया था.
'बागी सांसदों को मोदी, शाह का समर्थन'
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 19 जुलाई को दावा किया था कि उनके साथ इस समय 12 सांसद मौजूद हैं और उन्हें प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक का समर्थन मिल रहा है. उन्होंने बयान दिया था कि पीएम ने कहा वे महाराष्ट्र के विकास के लिए उनका पूरा समर्थन करेंगे. हमने महाराष्ट्र के लोगों के लिए ही ये जिम्मेदारी ली है. लोगों की परेशानियां दूर हों, यह मेरी सरकार का उदेश्य है. किसानों में आत्महत्या कम हो, ये हमारा उदेश्य है.
बागी विधायकों पर SC में 1 अगस्त को सुनवाई
वहीं उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के साथ जाने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है. इसके अलावा उद्धव ठाकरे ने अपनी याचिका में राज्यपाल के उस फैसले को भी चुनौती दी है, जिसमें एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने का न्योता भेजा गया था. इस मामले में 20 जुलाई को कोर्ट ने सुनवाई भी की थी. चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों से जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. इस मामले में अब 1 अगस्त को सुनवाई होनी है.
उद्धव ठाकरे की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी थी कि महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ वह गलत परंपरा की शुरुआत है. अगर महाराष्ट्र जैसा ही हाल रहा, तो देश में कहीं भी चुनी हुई सरकार को गिराया जा सकता है. शिंदे गुट के विधायकों ने संविधान की 10 अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन किया है.
उन्होंने कहा था कि मामला कोर्ट में लंबित था, जिसकी सुनवाई 11 जुलाई को होनी थी. इसके बावजूद राज्यपाल ने शिंदे गुट को सरकार बनाने का न्योता भेजा. राज्यपाल ने शिंदे को शपथ दिलाई, जबकि वे जानते थे कि विधायकों के अयोग्यता का मामला अभी स्पीकर के समक्ष लंबित था.
मुंबई: आरे में पेड़ काटने का मामला फिर सुप्रीम कोर्ट
मुंबई के आरे वन क्षेत्र में पेड़ काटे जाने का मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में CJI एन वी रमणा को याचिकाकर्ता की वकील अनीता शेनॉय ने बताया कि हर दिन पेड़ काटे जा रहे हैं. उन्होंने सीजेआई से इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग की है. इस पर CJI ने उनसे कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. हालांकि सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है.