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'मुफ्त की रेवड़ियों' पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, इंडिया टुडे के इंटरव्यू का जिक्र कर DMK को लगाई फटकार

चुनाव के दौरान किए जाने वाले मुफ्त वादों को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. कोर्ट ने कहा कि ये देश के कल्याण की बात है और इस पर सुनवाई जरूरी है. सुनवाई के दौरान CJI एनवी रमणा ने DMK के वकील को फटकारते हुए कहा कि हम सब देख रहे हैं कि आपके मंत्री क्या कह रहे हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रीबीज बड़ा मुद्दा है, इस पर बहस जरूरी है. (फाइल फोटो-PTI) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रीबीज बड़ा मुद्दा है, इस पर बहस जरूरी है. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 3:47 PM IST

राजनीतिक पार्टियों के मुफ्त वादों पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. ये सुनवाई उस याचिका पर हुई जिसमें मुफ्त वादों पर रोक लगाने की मांग की गई है. चीफ जस्टिस एनवी रमणा की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि ये गंभीर मसला है और इस पर बहस जरूरी है. इस मामले पर अब अगली सुनवाई बुधवार को होगी. 

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि 'हम ये नहीं कह रहे कि सरकारों को कल्याणकारी उपाय नहीं करने चाहिए. हम कह रहे हैं कि चुनाव के समय किए जाने वाले वादों को कंट्रोल किया जाना चाहिए. वोटर्स को पता होना चाहिए कि स्कीम के लिए पैसा कहां से आ रहा है. घोषणा पत्र में जो वादे किए जा रहे हैं, उसके लिए पैसा कहां से आएगा.'

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उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट आदेश जारी कर संसद को कानून बनाने के लिए कहे या फिर चुनाव आयोग से गाइडलाइन बनाने को कहे ताकि चुनाव के समय किए जाने वाले मुफ्त वादों पर रोक लगाई जा सके. 

सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि 'मान लीजिए कि अगर केंद्र सरकार कानून बना देती है कि कोई राज्य सरकार फ्रीबीज नहीं बांट सकती, तो क्या ऐसा कानून न्यायिक जांच के दायरे में नहीं आएगा. देश के कल्याण के लिए, हम इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं.'

डीएमके को लगाई फटकार

सुनवाई के दौरान तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रमुक (डीएमके) की ओर से पेश हुए वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि 'फ्रीबीज किसी भी रूप में हो सकती है. मुफ्त देना कोई संवैधानिक दायित्व नहीं है. शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, साफ-सफाई, बिजली वगैरह सब राज्य के दायित्व हैं. अगर वंचित वर्गों के लिए योजनाएं हैं, तो क्या ये फ्रीबीज हो सकती हैं?'

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इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि 'आप जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके लिए कहने को बहुत कुछ है. ये मत सोचिए कि आप एकमात्र बुद्धिमान दिखने वाली पार्टी है. ये मत सोचिए कि जो कुछ कहा जा रहा है, उसे हम सिर्फ इसलिए नजरअंदाज कर रहे हैं क्योंकि हम कुछ कह नहीं रहे हैं. तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने टीवी पर सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ जो बयान दिए, वो सही नहीं थे.'

वित्त मंत्री ने टीवी पर क्या कहा था?

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तमिलनाडु के वित्त मंत्री डॉ. पी. थियाग राजन के जिस बयान का जिक्र किया, वो उन्होंने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा था. इस इंटरव्यू में थियाग राजन ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए थे.

पिछले हफ्ते इंडिया टुडे ग्रुप के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि 'भारत हो या चाहे कोई और लोकतांत्रिक देश, किसी देश के संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट या कोई भी कोर्ट ये फैसला करे कि जनता का पैसा कहां खर्च होगा? ये पूरी तरह से विधायिका का अधिकार है. मेरा पहला सवाल है कि सुप्रीम कोर्ट इस बहस में क्यों पड़ रहा है?'

उन्होंने आगे कहा था कि अगर फ्रीबीज देना बुरा है तो क्यों प्रधानमंत्री दिल्ली से चेन्नई आते हैं और यहां आकर 25 हजार रुपये प्रति स्कूटर पर छूट की योजना की घोषणा करते हैं. ये अब तक की सबसे खराब फ्रीबी थी.

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इस इंटरव्यू में उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था, 'आप जो कह रहे हैं, उसके लिए आपके पास या तो संवैधानिक आधार होना चाहिए या फिर आपके पास कुछ विशेषज्ञता होनी चाहिए, जो हमें बताए कि आप हमसे बेहतर जानते हैं. या आपके पास कुछ परफॉर्मेंस ट्रैक होना चाहिए जो दिखाता हो कि आपने अर्थव्यवस्था को बढ़ाया है, कर्ज कम किया है, नौकरियां पैदा की हैं. जब इनमें से कुछ भी सच नहीं है तो हमें किसी की बात क्यों सुननी चाहिए?'

थियाग राजन ने आगे कहा था, 'मेरे मुख्यमंत्री ने मुझे एक काम दिया है और मैं इसे अच्छी तरह से कर रहा हूं. हम केंद्र सरकार से बहुत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. हम केंद्र के खजाने में बड़ा योगदान देते हैं. आप हमसे और क्या चाहते हैं? मुझे किस आधार पर आपके लिए अपनी नीति बदलनी चाहिए?'

सब फ्रीबीज बांटनी चाहती हैंः सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई भी किसी भी पार्टी के सामाजिक मुद्दों को उठाने की जिम्मेदारी पर सवाल नहीं उठा रहा है. लेकिन मुफ्त के वादे करना एक कला बन गई है और इससे खतरनाक आर्थिक स्थिति पैदा हो सकती है.

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उन्होंने कहा, 'कोई साड़ी बांट रहा है. कोई सबकुछ फ्री दे रहा है. मान लीजिए कोई पार्टी वादा करती है कि हम टैक्स नहीं लेंगे. कोई प्रॉपर्टी टैक्स नहीं होगा. क्या आप ऐसे वादे कर सकते हैं, जिन्हें आप आर्थिक रूप से पूरा नहीं कर सकते.'

इसके बाद चीफ जस्टिस रमणा ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियां, यहां तक कि बीजेपी भी फ्रीबीज बांटना चाहती है. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की अगली तारीख बुधवार यानी 24 अगस्त तय की है.

 

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