
सुप्रीम कोर्ट में दो-दो संविधान पीठ सुनवाई करेंगी. CJI जस्टिस यूयू ललित ने मामलों की सुनवाई की रूपरेखा तैयार कर ली है. पांच जजों की संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे CJI ने कहा कि ये बेंच हफ्ते में 3 दिन (मंगलवार, बुधवार, गुरुवार ) सुनवाई करेगी. सुनवाई 7.5 घंटे तक की जाएगी.
CJI जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हर हफ्ते में एक मामले की सुनवाई पूरी हो. हम चाहते हैं कि अक्टूबर की शुरुआत तक हमारे सामने मौजूद 4 मामलों में बहस पूरी हो जाए. CJI ने संविधान पीठ की सुनवाई के लिए आउट लाइन तय कर ली है. उन्होंने कहा कि मामले में कोई एक कोर्ट तय करे या आप में से कोई एक मुख्य मामले से जुड़ा कंपाइलेशन तैयार करे. जैसा राम जन्मभूमि मामले में किया गया था. ताकि मामले की सुनवाई आसानी से हो सके.
सीजेआई जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि सभी पक्ष अपनी दलील को तीन पन्नो में पूरा करेंगे. दलील के लिए समय तय किए जाए. CJI ने साफ किया कि मुख्य मामले में एक वकील को सभी पक्षों से लिखित प्रस्तुतियों को शामिल करने के लिए "नोडल प्वाइंट" के रूप में नियुक्त किया जा सकता है.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि हम इसके लिए लॉ क्लर्क भी नियुक्त कर सकते हैं. दरअसल, हम चाहते हैं कि कम से कम बहस करने वाले वकीलों की दलीलें अक्टूबर तक खत्म हो जाएं. साथ ही वकील भी आवंटित समय का पालन करें. हम 4 के बजाय एक बार में केवल 2 मामलों को लिस्टेड कर सकते हैं.
क्या बोले कपिल सिब्बल?
वहीं सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि एक मामला आर्थिक आरक्षण से संबंधित है, इसमें समय लगेगा. कोर्ट पहले 2 मामलों पर विचार करे. देख कि इसमें कितना समय लगता है.
सॉलिसिटर जनरल ने कही ये बात
केंद्र के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि समय सीमा और बहस निर्धारित करने के लिए समय चाहिए. उधर, जस्टिस एस रविंद्र भट ने कहा कि मराठा आरक्षण मामले में हमने इस तरह केस मैनेजमेंट की सुनवाई की थी.
किन मामलों पर होगी सुनवाई?
चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ संविधान के 103वें संशोधन की वैधानिकता पर विचार करेगी, जिसके जरिए आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों के लिए आरक्षण का प्रावधान 2019 में किया गया था. ये याचिका जनहित अभियान ने दाखिल की थी. ये मुकदमा ठीक दो साल पहले तब के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने 2020 के अगस्त में संविधान पीठ के पास भेजा था.
इसके अलावा सीजेआई की अगुवाई वाली संविधान पीठ के सामने अन्य मामले भी होंगे. इसमें आंध्रप्रदेश सरकार बनाम बी अर्चना रेड्डी की याचिका शामिल है. यह मुस्लिमों के लिए शिक्षा और अन्य लोक सेवाओं में आरक्षण की नीति को चुनौती देने वाली याचिका है. कोर्ट में विचार इस बारे में भी होगा कि मुसलमानों को सिर्फ धार्मिक आधार पर पिछड़ा मानकर आरक्षण मिले या इसमें भी पिछड़ेपन के आधार पर अलग खाने बनाए जाएं.
इसके अलावा पंजाब में सिख छात्रों को गुरुद्वारा कमेटी के स्कूलों-कॉलेजों और शिक्षा संस्थानों में 50 फीसदी आरक्षण देने की पंजाब सरकार की अधिसूचना रद्द करने को भी चुनौती दी गई है.
एक और मसला वी सनतकुमार बनाम एचसी भाटिया का है. इसमें सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय पीठ की स्थापना का विचार है. ये मामला 2016 में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने संविधान पीठ के पास भेजा था.
ये भी देखें