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हेट स्पीच: SC से उत्तराखंड सरकार और DGP को राहत, अवमानना याचिका में पक्षकारों की सूची से हटाए गए

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हेट स्पीच मामले में सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और वहां के डीजीपी को एक मामले में राहत दे दी. दरअसल कार्यकर्ता तुषार गांधी ने हेट स्पीच देने के मामलों में कथित रूप से कार्रवाई न करने पर दोनों को पक्षकार बनाकर उनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में दिल्ली पुलिस से मांगा जवाब (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में दिल्ली पुलिस से मांगा जवाब (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:26 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में उत्तराखंड सरकार और डीजीपी शुक्रवार को बड़ी राहत दी. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने धार्मिक सभाओं में हेट स्पीच देने के मामलों में कथित रूप से कोई कार्रवाई न करने के संबंध में कार्यकर्ता तुषार गांधी की अवमानना याचिका में दोनों को पक्षकारों की सूची से हटा दिया है.

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दरअसल सुनवाई में उत्तराखंड सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने इस मामले की सुनवाई कर रही दूसरी पीठ के पास पहले ही जवाब और कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल कर दी है, इसके बावजूद याचिकाकर्ता ने सरकार, जिला प्रशासन और पुलिस के खिलाफ अवमानना की अर्जी दाखिल की है. इस पर कोर्ट ने कहा कि चूंकि जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ही इस मामले की सुनवाई पहले भी कर चुकी है, लिहाजा इसे वहीं भेजा जा सकता है. इसके बाद पीठ ने राज्य और डीजीपी को मुक्त कर दिया.

हेट स्पीच पर दिल्ली पुलिस ने मांगा जवाब

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली पुलिस ने अब तक हेट स्पीच देने लोगों के खिलाफ न तो कोई ठोस कार्रवाई की है और ना ही कोई जवाब कोर्ट में दाखिल किया है. इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से दो हफ्ते के भीतर नफरत भरे भाषणों में की गई कार्रवाई पर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दे दिया.

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नफरती भाषणों पर पुलिस खुद संज्ञान ले

पिछले महीने 21 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच पर रोक लगाने के लिए दिल्ली, उत्तराखंड और यूपी सरकार से कार्रवाई करने के लिए कहा था. कोर्ट ने तीनों राज्यों की सरकारों से कहा था कि पुलिस अब हेट स्पीच मामले में FIR दर्ज होने का इतंजार किए बिना खुद ही कार्रवाई करे.

जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की बेंच ने सरकारों को निर्देश दिया था कि वे अपने राज्य में नफरत फैलाने वालों पर कार्रवाई से जुड़ी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. पुलिस ऐसे बयान देने वालों पर तुरंत कार्रवाई करे, नहीं तो अवमानना के लिए तैयार रहें. कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि 21वीं सदी में एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए इस तरह के भड़काऊ भाषण चौंकाने वाले हैं.

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