
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस रोहिंगटन फली नरीमन (Justice Rohinton Fali Nariman) गुरुवार को रिटायर हो गए. शुक्रवार को उनका 65वां जन्मदिन है और सुप्रीम कोर्ट के नियम के मुताबिक, अपने 65वें जन्मदिन से एक दिन पहले जज रिटायर होते हैं.
अपने कार्यकाल के आखिरी दिन परंपरा के मुताबिक, जस्टिस नरीमन (Justice Nariman) सीजेआई एनवी रमणा (CJI NV Ramana) के साथ बेंच में बैठे. इस दौरान सीजेआई रमणा ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐसे शेरदिल जज को खो दिया है जो अपनी विद्वता, स्पष्टता और विद्वतापूर्ण कार्य के लिए जाने जाते हैं. सीजेआई ने बताया कि जस्टिस नरीमन ने अपने 7 साल के कार्यकाल में 35 हजार से ज्यादा मामलों का निपटारा किया.
जस्टिस नरीमन को जुलाई 2014 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था. जज बनने के दो महीने बाद ही उन्होंने अपना फैसला लिखा था, जिसकी खूब चर्चा हुई थी. उन्होंने मौत की सजा पाए आरोपी की रिव्यू अर्जी की खुली अदालत में सुनवाई करने पर जोर दिया था.
37 साल में बन गए थे सीनियर एडवोकेट
जस्टिस नरीमन को जिस वक्त सीनियर एडवोकेट बनाया गया था, उस वक्त उनकी उम्र मात्र 37 साल थी. जबकि, सीनियर एडवोकेट बनने के लिए कम से कम 45 साल उम्र और 10 साल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पैरवी बुनियादी शर्त होती है. लेकिन उन्हें सीनियर एडवोकेट का गाउन देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के तब के चीफ जस्टिस एमएन वेंकटचलैया को नियमों में बदलाव करना पड़ा था.
वकालत से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज बने
नियम तो है कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को ही सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया जाता है. लेकिन जस्टिस नरीमन 5वें ऐसे वकील हैं, जिन्हें वकालत से सीधे सुप्रीम कोर्ट का बनाया गया. सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में उंगलियों पर गिने जाने की संख्या में ही ऐसे जज आए हैं जो सीधे बार से ही सुप्रीम कोर्ट बेंच में नियुक्त किए गए हैं. अभी सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के बाद सीनियर मोस्ट जज जस्टिस यूयू ललित भी सीधे बार से ही नियुक्त हुए. हाल ही में रिटायर हुईं जस्टिस इंदु मल्होत्रा भी इसी तरह सुप्रीम कोर्ट की जज बनी थीं.
सॉलिसिटर जनरल ने की तारीफ
जस्टिस नरीमन के रिटायरमेंट कार्यक्रम के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने कहा कि जस्टिस नरीमन उनकी निगाह और याद में इसलिए भी हमेशा बने रहेंगे क्योंकि जूनियर वकील के तौर में उन्होंने जिन सीनियर को पहली बार कोई ब्रीफिंग दी थी, वो जस्टिस नरीमन ही थे. उन्होंने कहा, जस्टिस नरीमन मेरे लिए बहुत खास हैं क्योंकि वो परंपरागत रास्ते की बजाय अपने बनाए नियमों के मुताबिक चले.
वहीं, सीनियर एडवोकेट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि वो खास तौर पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढ़ा के प्रति आभारी हैं जिन्होंने सबसे युवा उम्र में सीनियर एडवोकेट बने रोहिंटन नरीमन को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की थी. इसके बाद अनेक अवसरों पर जस्टिस नरीमन ने अपने फैसले, आदेश और टिप्पणियों से प्रासंगिकता और प्रेरणा सिद्ध की.