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सुप्रीम कोर्ट के 538 फैसलों का भारतीय भाषाओं में हुआ अनुवाद, जानें हिंदी में कब आएगा अयोध्या फैसला

सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की कॉपी हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी वेबसाइट पर अपलोड करने का ऐलान किया था. ये पहल चार साल पहले तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने की थी. साल 2009 में ही 209 फैसलों का हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद हो गया था लेकिन फिर इसकी रफ्तार हर गुजरते साल के साथ सुस्त पड़ती गई.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:21 AM IST

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम में फैसलों की कॉपी देश की क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराने का ऐलान किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस फैसले की सराहना की थी. अब ये जानकारी सामने आई है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 538 मामलों में सुनाए गए फैसलों की कॉपी का हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो गया है.

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जानकारी के मुताबिक अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ के चर्चित फैसले का अनुवाद भी फरवरी महीने के अंत तक पूरा हो सकता है. इसके बाद इस फैसले की कॉपी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाएगी. संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कानून मंत्रालय ने बताया था कि पिछले चार साल में कुल 538 फैसलों का हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है. इनमें भी आधे से ज्यादा यानी 290 फैसलों का अनुवाद हिंदी में किया गया है लेकिन इस अंतराल में साल दर साल फैसलों के अनुवाद की संख्या लगातार घट रही है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के हिंदी के साथ ही अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद की योजना चार साल पहले तत्कालीन सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई लेकर आए थे. शुरुआत तो हुई लेकिन फिर अनुवाद की रफ्तार मंद पड़ गई. अब मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने फिर ये ऐलान कर इस मामले में सबका ध्यान खींचा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  योजना की सराहना करते हुए इसे प्राथमिकता की श्रेणी में ला दिया है.

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अब तक किस भाषा में कितने फैसलों का अनुवाद

सुप्रीम कोर्ट के अब तक 538 फैसलों का अनुवाद हुआ है जिसमें से असमी में छह, बांग्ला में तीन, गैरो में दो, हिंदी में 290, कन्नड़ में 24, मलयालम में 47, मराठी में 26, नेपाली भाषा में तीन अनुवाद हुए हैं. उड़िया में 26, पंजाबी में 10, तमिल में 76, तेलगु में 18, उर्दू में पांच फैसलों का अनुवाद हुआ है. सबसे अधिक 209 फैसलों का अनुवाद साल 2019 में हुआ था.

हर साल घटती गई अनुवाद की संख्या

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद हर साल कम होता गया. 2019 में ही जहां 209 फैसलों का अनुवाद हुआ था, वहीं 2020 में 142, 2021 में 100 और 2022 में सिर्फ 82 फैसलों का ही अनुवाद हुआ. इतना ही नहीं, तीन साल बाद भी अयोध्या के राम जन्मभूमि का फैसला सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर हिंदी में उपलब्ध नहीं है. इसे अनुवाद के बाद वेबसाइट पर अपलोड करने की प्रक्रिया फरवरी महीने के अंत या मार्च तक पूरी हो सकती है.

पीएम मोदी ने बताया महान उपलब्धि

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद के बाद वेबसाइट पर उपलब्ध कराने की मुहिम का स्वागत करते हुए इसे न्यायपालिका की महान उपलब्धि बताया. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इससे न केवल क्षेत्रीय भाषाओं की उपयोगिता, सार्थकता बढ़ेगी बल्कि आम लोगों के साथ नए वकीलों और अनुसंधान करने वाले कानून के छात्रों को भी आसानी होगी. प्रधानमंत्री के इस ट्वीट को लेकर भी कानून से जुड़े लोगों, राजनीतिक गलियारों में हो रही है.

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सीजेआई ने बार काउंसिल के कार्यक्रम में किया था ऐलान

सीजेआई जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने मुंबई में शनिवार को आयोजित मुंबई गोवा बार काउंसिल के कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराने का ऐलान किया था. सीजेआई ने कहा था कि क्षेत्रीय भाषाओं और लिपि में कोर्ट के फैसलों को जनता तक पहुंचाने के लिए आधुनिक तकनीक के जरिए ये सुविधा जन-जन तक पहुंचाने पर तेजी से काम चल रहा है. इसमें उन्होंने युवा वकीलों और तकनीकी विशेषज्ञों से आगे आने का आह्वान किया था.

सीजेआई ने कहा था कि मैं चाहता हूं कि इस तकनीक का लाभ उन लोगों को भी मिले, जिनकी पहुंच में ऐसी तकनीक नहीं है. उन्होंने कहा कि आज भी आम आदमी की समझ में सुप्रीम कोर्ट के अंग्रेजी में प्रकाशित फैसले नहीं आते. ऐसे में अपनी मातृभाषा में वो कोर्ट के फैसलों और उसके पीछे दिए जाने वाले तर्कों, दलीलों और कोर्ट की सोच को समझ सकेंगे.

 

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