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मदरसों को स्कूल में बदलने के खिलाफ याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को दिया नोटिस

असम सरकार ने सरकारी मदरसों को स्कूल में तब्दील करने का आदेश दिया था. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार के फैसले को बरकरार रखा था. अब ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:05 PM IST

असम सरकार ने प्रदेश के सरकारी नियंत्रण वाले मदरसों को स्कूल में बदलने का ऐलान किया था. इसके लिए असम सरकार असम रिपीलिंग एक्ट 2020 लेकर आई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के नियंत्रण वाले मदरसों को स्कूल में तब्दील करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए असम सरकार को नोटिस जारी किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को ये नोटिस गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका पर जारी किया है. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मदरसों को सरकारी स्कूल में तब्दील करने के असम सरकार के फैसले को सही ठहराया था. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा था कि किसी धर्म को बढ़ावा देना सरकार का काम नहीं है.

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याचिकाकर्ता की ओर से दायर अपील में कहा गया है कि पहले ये मदरसे निजी थे जिन्हें सरकार ने काफी पहले अपने नियंत्रण में ले लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद असम सरकार को नोटिस जारी किया है. गौरतलब है कि असम सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी मदरसों को एक अप्रैल से बंद करने और इन्हें स्कूल में तब्दील करने के आदेश दिए थे.

असम सरकार के इस फैसले की जद में 620 मदरसे आ रहे हैं. असम सरकार ने धार्मिक शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता बंद कर दी है. असम सरकार की ओर से सरकारी नियंत्रण वाल मदरसों को स्कूल में बदलने के फैसले के खिलाफ मदरसों की प्रबंध समितियों ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. गुवाहाटी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मदरसों की प्रबंध समितियों ने असम सरकार के इस फैसले को संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 का उल्लंघन बताया था.

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मदरसों की प्रबंध समितियों की ओर से दाखिल याचिका पर गुवाहाटी हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस सुधांशु धूलिया के नेतृत्व वाली बेंच ने सुनवाई की थी. गुवाहाटी हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली बेंच ने असम मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण) अधिनियम 1995 और असम मदरसा शिक्षा (शिक्षकों की सेवाओं का प्रांतीयकरण और शेक्षणिक संस्थानों का पुनर्गठन) अधिनियम 2018 के प्रावधानों को निरस्त करने वाले 2020 के विधेयक को बरकरार रखने का आदेश दिया था.

 

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