
अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी आरक्षण के मसले पर महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर परिसीमन का कार्य प्रगति पर होने का हवाला दिया था और ये अपील की थी कि इसके बाद ही स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुना दिया है.
महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी को आरक्षण देने की नीति लागू करने से पहले ट्रिपल टेस्ट यानी तीन कसौटियों पर कसना जरूरी होगा. कोर्ट ने कहा कि तीनों टेस्ट की रिपोर्ट सकारात्मक आने के बाद ही ओबीसी को आरक्षण दिया जा सकता है. तीन टेस्ट में आयोग बनाने, पिछड़ेपन का विस्तृत डाटा, पिछड़ी जातियों का कुल आबादी में अनुपात और समानुपातिक प्रतिनिधित्व का आधार शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग को ये निर्देश भी दिया है कि राज्य में 2448 स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की तैयारी करे. पहले की ही तरह चुनाव कराने के लिए दो हफ्ते में अधिसूचना जारी की जाए. यानी ये साफ हो गया है कि महाराष्ट्र में परिसीमन की प्रक्रिया हफ्ते भर में पूरी नहीं होने की स्थिति में ओबीसी के लिए आरक्षण के बगैर ही स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे.
इससे पहले, महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि राज्य में नई नीति के मुताबिक परिसीमन का काम प्रगति पर है. लिहाजा एक बार परिसीमन हो जाए, फिर चुनाव कराए जाएं. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की इस दलील पर कहा कि ये राज्य सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि हर पांच साल बाद स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाएं. इसमें किसी भी तरह की लापरवाही या देरी उचित नहीं है.
मध्य प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई 5 मई को
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से भी इसी मुद्दे को लेकर याचिका दायर की गई है. मध्य प्रदेश सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 5 मई यानी गुरुवार को सुनवाई होगी. इससे पहले कोर्ट ने 4 मई को सुनवाई के दौरान ये साफ कर दिया कि ओबीसी आरक्षण के मामले में महाराष्ट्र के लिए दिया जाने वाला आदेश ही बाकी राज्यों की ओर से दायर की गईं इस तरह की याचिकाओं को लेकर भी लागू होगा.