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SC ने कोर्ट की अवमानना पर जताई चिंता, कहा- 'जजों पर आरोप लगाना फैशन बन गया है'

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जजों पर जानलेवा हमले करना अब फैशन बन गया है. ये उचित नहीं है. साथ ही कोर्ट की अवमानना पर कहा कि वकील कानून से ऊपर नहीं हैं.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2022,
  • अपडेटेड 3:28 PM IST
  • मद्रास हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा
  • 'महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में ऐसा ज्यादा हो रहा'

सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना के एक मामले में सोमवार को सुनवाई की. इस दौरान SC ने जजों को सॉफ्ट टारगेट बनाए जाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताई. साथ ही कहा कि जजों के खिलाफ आरोप लगाना या जानलेवा हमले करना अब फैशन बन गया है. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा ऐसा हो रहा है. हर मामले में कोर्ट या जजों पर निशाना साधना उचित नहीं है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि लोग ये ध्यान रखें कि जज जितने मजबूत होंगे, आरोप उतने ही खराब होंगे.

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सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना ​​के आरोप में एक वकील को दी गई 15 दिन कैद की सजा वाला मद्रास हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा. सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाल के वर्षों में जजों पर हमले करने का ट्रेंड देशभर में दिखा है. जजों पर हमले हो रहे हैं. जिला मुख्यालयों में भी जजों की कोई सुरक्षा नहीं है. कई जगहों पर तो ऐसे अवसर भी आए हैं, जब जजों को सुरक्षा के लिए लाठी वाला पुलिसकर्मी भी नहीं मिलता.

कोर्ट की अवमानना के एक मामले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वकील कानून से ऊपर नहीं हैं. उनको भी न्याय प्रक्रिया में बाधा डालने के अपराध की सजा मिलेगी. ऐसे वकील कानूनी पेशे पर कलंक हैं. उनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मद्रास हाईकोर्ट ने वकील के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. लेकिन 100 वकीलों ने चाय की दुकान पर वारंट के तामील नहीं करने दिया. जब मामला वापस कोर्ट में आया तो वकीलों ने जज पर आरोप लगाए. जबकि अवमानना के लिए दो सप्ताह की कैद वास्तव में बहुत ही मामूली सजा है. क्योंकि अवमानना के अपराध में अधिकतम 6 महीने कैद की सजा का प्रावधान है.

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