
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मानसिक रूप से अस्वस्थ 22 वर्षीय युवक की कस्टडी उसकी मां शरमिला वेलामुर को सौंप दी, जो अमेरिकी नागरिक हैं. कोर्ट ने कहा कि युवक स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने में सक्षम नहीं है और उसके हित में है कि वह अपनी मां के साथ रहे. न्यायमूर्ति सूर्य कांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुयान की पीठ ने युवक की मानसिक उम्र को 8-10 वर्ष के बच्चे के बराबर माना और आदेश दिया कि पिता मां-बेटे की अमेरिका वापसी में कोई बाधा न डालें.
युवक से जुड़े मेडिकल परीक्षण बेंगलुरु स्थित निमहांस में कराए गए, जिसमें पाया गया कि उसे माइल्ड इंटेलेक्चुअल डेवलपमेंट डिसऑर्डर और सेरेब्रल पाल्सी है. उसकी कुल अक्षमता 80% की श्रेणी में आती है, जिससे वह स्वतंत्र रूप से फैसले लेने में असमर्थ है.
मानसिक रूप अस्वस्थ युवक की कस्टडी SC ने मां को सौंपी
मां ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि तलाक के बाद जब अमेरिका में बेटे की गार्जियनशिप पर सुनवाई चल रही थी, तभी पिता उसे चेन्नई ले आए और गायब हो गए.
हाईकोर्ट ने बेटे से कुछ मिनटों की मौखिक बातचीत के आधार पर तय किया था कि उसे जबरन नहीं रोका गया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला जल्दबाजी में लिया गया और वैज्ञानिक रिपोर्ट को नजरअंदाज किया गया.
युवक को माइल्ड इंटेलेक्चुअल डेवलपमेंट डिसऑर्डर और सेरेब्रल पाल्सी है
कोर्ट ने माना कि युवक ने अमेरिका में ही अपनी पढ़ाई पूरी की और वहां की विशेष कल्याणकारी सेवाओं से जुड़ा रहा. अमेरिका की एक अदालत ने भी उसकी मां को स्थायी अभिभावक नियुक्त किया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि युवक 15 दिनों के भीतर अपनी मां के साथ अमेरिका लौटे और पिता उनकी वापसी में कोई बाधा न डालें.