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कोरोना से जिन बच्चों ने माता-पिता खोया उनकी पढ़ाई जारी रहने दें, प्राइवेट स्कूलों से SC की अपील

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें ऐसे बच्चों की पढ़ाई पूरी करने के लिए नीतियां बनाएं और ये सुनिश्चित करें कि ऐसे छात्र/छात्राएं अपनी शिक्षा पूरी कैसे करेंगे. अदालत ने राज्यों को इस संबंध में नीतियां बनाने और लागू करने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 4:37 PM IST
  • निजी स्कूलों से सुप्रीम कोर्ट की अपील
  • 'कोरोना में जिन्होंने माता/पिता को खोया उनकी पढ़ाई जारी रहने दें'
  • 'आगे की पढ़ाई की व्यवस्था करें राज्य सरकारें'

सुप्रीम कोर्ट ने देश के निजी स्कूलों से कहा है कि वे इस शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में उन बच्चों की पढ़ाई बिना फीस चालू रहने दें जिनके अभिभावकों की मृत्यु कोरोना की वजह से हुई है. इस सुनवाई में कोर्ट ने राज्यों को भी निर्देश दिया है. अदालत ने राज्य सरकारों से भी कहा है कि वो ऐसे बच्चों  की फीस की व्यवस्था करें. राज्य सरकारें इस फीस की भरपाई करें या फिर फीस माफ करवाएं.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें ऐसे बच्चों की पढ़ाई पूरी करने के लिए नीतियां बनाएं और ये सुनिश्चित करें कि ऐसे छात्र/छात्राएं अपनी शिक्षा पूरी कैसे करेंगे. अदालत ने राज्यों को इस संबंध में नीतियां बनाने और लागू करने को कहा है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की भी खबर ली और कहा कि यहां के अधिकारियों की लापरवाही और लालफीताशाही की वजह से सारी नीतियों की जानकारी वेबसाइट्स पर समय रहते अपलोड नहीं हो पाती हैं. अदालत के अनुसार हाल ही में स्टेज चार के तहत अनाथ हुए बच्चों के कल्याण के लिए योजनाएं बनाई गईं लेकिन ये जानकारी अब तक वेबसाइट्स से नदारद है.  

इसके जवाब में एनसीपीसीआर की ओर से कहा गया कि दरअसल डाटा तो राज्यों के बाल अधिकार संरक्षण आयोग ही अपलोड करते हैं. एक बार वो अपलोड हो जाएं और फिर सिस्टम लॉक ही जाए तो कोई भी उनके साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता है या फेरबदल नहीं कर सकता है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी गौर किया कि इसी वजह से जिला बाल कल्याण समितियों यानी सीडब्ल्यूसी के निर्णय अपडेट नहीं हो पाते हैं, क्योंकि वो सही नहीं होते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि इस सिस्टम को सुधारे. 

2600 बच्चों का हुआ रजिस्ट्रेशन

सुप्रीम कोर्ट में ASG ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि मार्च 2020 से अब तक 30 राज्यों में कोविड से अनाथ हुए 2600 बच्चों का रजिस्ट्रेशन विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया गया है. इनमें से 418 बच्चों की तस्दीक जिला प्रशासन कर भी चुका है. 

जस्टिस एलएन राव ने कहा कि इन बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए.  कोर्ट ने कहा कि  दस साल से कम उम्र तक के बच्चों को प्रधानमंत्री योजना के तहत पूरी मदद की जाए. उनको नजदीक के केंद्रीय विद्यालय में दाखिला मिले या फिर निजी पब्लिक स्कूलों में दाखिला मिले और वर्दी, किताब फीस सबका इंतजाम राज्य सरकार करे. 

कोर्ट ने सभी जिला मजस्ट्रेटि से कहा कि बाकी बच्चों की भी जल्दी से जल्दी पहचान करें ताकि उनको पीएम केयर से मदद मिलनी सुनिश्चित हो सके.

 

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