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वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने के खिलाफ सुरजेवाला ने दायर की थी PIL, सुनवाई से SC का इनकार

कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने वोटर कार्ड से आधार को लिंक करने की अनुमति देने वाले चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम 2021 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता से दिल्ली हाईकोर्ट का रुख करने के लिए कहा है.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST
  • हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं करते- सुप्रीम कोर्ट
  • याचिकाकर्ता ने तीन राज्यों में चुनाव की दी दलील

कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम 2021 के प्रावधानों को चुनौती दी थी जिसके तहत मतदाता कार्ड को आधार संख्या से जोड़े जाने का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने रणदीप सिंह सुरजेवाला की इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है.

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रणदीप सिंह सुरजेवाला की याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि आप दिल्ली हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं करते? सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला के वकील से ये भी पूछा कि मामला कब लिया गया था. इसके जवाब में सुरजेवाला के वकील ने कहा कि अलग-अलग हाईकोर्ट के फैसलों में भिन्नता हो सकती है.

वकील ने ये भी दलील दी कि तीन अलग-अलग राज्यों में चुनाव होने हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि अगर कई तरह की कार्यवाही होती है तो केंद्र क्लबिंग और ट्रांसफर के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने ये भी कहा कि आवश्यक हुआ तो इसे एक हाईकोर्ट में जोड़ा या भेजा जा सकता है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि याचिकाकर्ता की ओर से चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम 2021 की धारा 4 और 5 की वैधता को चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट के पास इसका प्रभावी और वैकल्पिक उपाय उपलब्ध है. इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले का भी उल्लेख किया जिसमें कोर्ट ने आधार अधिनियम 2016 की वैधता को बरकरार रखा था.

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम को मनमाना और तर्कहीन बताया और कहा कि ये पूरी तरह दो अलग-अलग दस्तावेज को डेटा के साथ जोड़ने की अनुमति देता है.

 

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