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Pegasus Spyware: पेगासस जासूसी मामले में टेक्निकल कमेटी ने सौंपी अंतरिम रिपोर्ट, 23 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

पेगासस जासूसी केस की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट की टेक्निकल कमेटी के पास फरवरी के पहले सप्ताह तक केवल 2 ही लोगों ने अपने फोन जमा किए थे. जिसके बाद कमेटी ने एक बार फिर पब्लिक नोटिस जारी किया था.

सुप्रीम कोर्ट (File Pic) सुप्रीम कोर्ट (File Pic)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 22 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST
  • पेगासस मामले में कोर्ट ने नियुक्त की थी 3 सदस्यीय समिति
  • 2019 में सामने आया था पेगासस मामला

पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Case) पर दाखिल की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 23 फरवरी को सुनवाई करेगा. इस मामले में टेक्निकल कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है. हालांकि अंतिम और विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए कमेटी ने कोर्ट से कुछ समय मांगा है. 

इससे पहले देश की सर्वोच्च अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले पर सुनवाई की थी. उस समय कोर्ट ने भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए इजराइली स्पाइवेयर का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों का तीन सदस्यीय एक पैनल गठित करने का आदेश दिया था.

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अब प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने 12 जनहित याचिकाओं को 23 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. इनमें ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’, पत्रकारों-एन राम और शशि कुमार की याचिकाएं भी शामिल हैं. इस दौरान उस रिपोर्ट की समीक्षा भी की जा सकती है, जिसे शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त पैनल को दाखिल करने को कहा गया था.

27 अक्टूबर 2001 को हुआ था कमेटी का गठन
पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर 2021 को एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन को इसका अध्यक्ष बनाया गया था. कमेटी गठित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर किसी की प्राइवेसी की रक्षा होनी चाहिए.

पेगासस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?
इससे पहले पेगासस स्पाइवेयर जासूसी कांड से कथित तौर पर प्रभावित केवल दो व्यक्तियों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तकनीकी समिति को अपने फोन सौंपे थे, जिसके कारण समिति को समय-सीमा बढ़ानी पड़ी, ताकि और भी लोगों तक वह पहुंच सकें. तकनीकी समिति ने यह समय सीमा आठ फरवरी कर दी थी, ताकि वैसे और भी लोग समिति से संपर्क कर सकें, यदि उन्हें संदेह है कि उनके फोन में पेगासस स्पाइवेयर का हमला हुआ है.

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क्या है पूरा मामला?
उल्लेखनीय है कि पेगासस मामला पहली बार 2019 में सामने आया था. जब पेगासस के जरिए पत्रकारों, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और कई राजनेताओं के फोन की जासूसी किए जाने का आरोप लगा था. जुलाई 2021 में एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया ग्रुप के कंसोर्शियम ने खुलासा किया था कि पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर या स्पाइवेयर का इस्तेमाल भारत समेत दुनिया भर के कई बड़े पत्रकारों-बिजनेसमैन और नेताओं की जासूसी के लिए किया गया था.


 

 

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