
कोरोना वायरस ने पिछले करीब डेढ़ साल में भारत में जमकर कहर बरपाया. इस महामारी के कारण देश में करीब चार लाख लोगों की मौत हो गई. जिन लोगों की कोविड से मौत हुई है, अब उनके परिजनों को सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए ये निर्देश दिया है. सर्वोच्च अदालत द्वारा इस दौरान NDMA को फटकार भी लगाई गई है, अदालत के फैसले से जुड़ी कुछ मुख्य बातें क्या हैं. एक नज़र डालिए..
• सरकार को कोविड से हुई मौत पर मुआवजा ज़रूर देना चाहिए. एनडीएमए को इससे जुड़ी गाइडलाइन्स लानी चाहिए, मुआवजे की राशि कितनी होगी ये सरकार खुद तय करे. इसके लिए 6 हफ्ते में गाइडलाइन बनानी होंगी.
• नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) को वैधानिक तौर पर मुआवजा तय करने और दिलवाने की सिफारिश करने का अधिकार है. लेकिन ऐसा न करके NDMA अपने वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहा है.
• कोरोना से हुई मौत पर सरकार की ओर से डेथ सर्टिफिकेट जारी किए जाएं. अब से पहले जो सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं, तो सरकार उनमें सुधार करवाए और कोविड से जुड़ी बात शामिल करे.
• कोरोना के मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी तैयार की जाए.
• मुआवजा कोई विवेकाधीन नहीं है, डिजास्टर मैनेंजमेंट एक्ट में ‘’होगा’’ शब्द का इस्तेमाल ज़रूरी है.
• मुआवजे को लेकर सरकार खुद अपनी प्राथमिकता तय करे, कोर्ट की ओर से आदेश दिया जाना ठीक नहीं होगा क्योंकि किसी भी सरकार या देश के पास अनलिमिटेड वित्तीय रिसोर्स नहीं हैं.
• सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें केन्द्र सरकार ने कहा था कि कोई भी अनुग्रह राशि नहीं दी जा सकती है, क्योंकि प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में कोविड या इस जैसी वैश्विक महामारी नहीं आती है.
केंद्र ने क्या तर्क दिए थे?
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मुआवजे को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई थीं. इनमें मांग की गई थी कि आपदा एक्ट के तहत कोविड से हुई मौत पर चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, केंद्र सरकार की ओर से इसपर असमर्थता जताई गई थी. सरकार का कहना था कि उनका फोकस हेल्थ इंफ्रास्ट्र्क्चर को मजबूत करने में है. वहीं, आपदा के लिए बने नियम को महामारी पर लागू करने में भी सरकार ने असमर्थता जताई थी.