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सुप्रीम कोर्ट का 'वॉर रूम'... मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ का देश को हाई-टेक विदाई तोहफा

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की सोच से सुप्रीम कोर्ट का वॉर रूम बना है जो कोर्ट की हर गतिविधि पर नजर रखता है. इसका मकसद न्यायिक व्यवस्था को और पारदर्शी बनाना है.

 सुप्रीम कोर्ट का वॉर रूम कोर्ट की हर गतिविधि पर नजर रखता है. सुप्रीम कोर्ट का वॉर रूम कोर्ट की हर गतिविधि पर नजर रखता है.
कनु सारदा
  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 11:19 PM IST

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो रहे हैं. उनकी सेवानिवृत्ति से पहले सुप्रीम कोर्ट का 'वॉर रूम' चर्चा में है. यह वॉर रूम चंद्रचूड़ की सोच का नतीजा है और इसमें सबसे नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.

कैसा है वॉर रूम?

इस वॉर रूम में एक तरफ बड़ी वीडियो स्क्रीन लगी है, और दूसरी तरफ काम करने वाले लोगों के लिए कई कंप्यूटर और मॉनिटर हैं. यहां सुबह 8 बजे से काम शुरू हो जाता है, और पूरी टीम कोर्ट की हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर नजर रखती है.

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टेक्नोलॉजी रजिस्ट्रार हरगुरवरिंदर सिंह जग्गी बताते हैं, 'हम इस वॉर रूम से सुप्रीम कोर्ट की सभी 17 अदालतों की कार्यवाही पर नजर रखते हैं. संविधान पीठ की लाइव स्ट्रीमिंग सुचारू रहे, इसका खास ध्यान रखा जाता है. सबसे बड़ी चुनौती तब आती है जब कोर्ट में बड़े जनहित के मामले आते हैं और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सीमित क्षमता होती है. लेकिन अभी तक हमने सब अच्छे से संभाला है.'

लाइव स्ट्रीमिंग के बीटा वर्जन  को लेकर भी काम चल रहा है. जग्गी ने बताया, 'यह फिलहाल परीक्षण में है और हम इसे और बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं.'

मुख्य न्यायाधीश की सोच का नतीजा

यह वॉर रूम मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की सोच का हिस्सा है. यहां नेशनल जुडिशल डेटा ग्रिड से जोड़ी गई जानकारियां हैं जो पूरे देश के लंबित मामलों की लाइव जानकारी देती हैं. यह वॉर रूम सुप्रीम कोर्ट के कामकाज को और ज्यादा पारदर्शी और तेज बनाने की दिशा में एक अहम कदम है.

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वॉर रूम में काम करने वाली टीम

वॉर रूम में काम करने वाली आईटी टीम में शाहनवाज, तेजिंदर सिंह और पवन प्रथापा शामिल हैं. ये टीम केस फाइलिंग से लेकर मामले के निपटारे तक हर चीज पर नजर रखती है. ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट के प्रमुख अशिष जे शिरधोनकर ने भी इस वॉर रूम की अहमियत और इसकी तकनीकी बारीकियों को समझाया. 

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की इस पहल ने भारतीय न्याय व्यवस्था को और आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है.

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