Advertisement

जम्मू-कश्मीर में सीटों के परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं? याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला कल

श्रीनगर के रहने वाले हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू की याचिकाओं में कहा गया है कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग ने इस दलील को गलत बताया था. इस पर सोमवार 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगी.

सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुनाया जाएगा सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुनाया जाएगा
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:57 PM IST

जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 13 फरवरी सोमवार को फैसला सुनाएगी. जस्टिस अभय. एस ओक की अगुआई वाली पीठ इस महत्वपूर्ण मामले पर अपना फैसला सुनाएगी. दरअसल, श्रीनगर के रहने वाले हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू की याचिकाओं में कहा गया है कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग ने इस दलील को गलत बताया था.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की पीठ ने 13 मई 2022 को इस मामले पर नोटिस जारी कर याचिका में उठाए गए मुद्दों और सवालों पर जवाब मांगा था. तब कोर्ट ने साफ किया था कि सुनवाई सिर्फ परिसीमन पर होगी. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़े मसलों पर विचार नहीं किया जाएगा.

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच के सामने याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन के लिए आयोग का गठन संवैधानिक प्रावधानों के हिसाब से सही नहीं है. परिसीमन में विधानसभा क्षेत्रों की सीमा बदली गई है. उसमें नए इलाकों को शामिल किया गया है. परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गई है, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की भी 24 सीटें शामिल हैं. दलील दी गई कि यह बदलाव जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 63 के मुताबिक सही नहीं है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement