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73 साल पहले ऐसे रखी गई सुप्रीम कोर्ट की नींव, 4 फरवरी को पहली बार मनाया जाएगा स्थापना दिवस

26 जनवरी 1950 को सुप्रीम कोर्ट की घोषणा और संविधान से मंजूरी मिली और दो दिन बाद 28 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया सुप्रीम कोर्ट. भारत के संघीय न्यायालय और प्रिविपर्स काउंसिल का विलय कर सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया यानी भारत का सर्वोच्च न्यायालय बना. चार फरवरी को होने वाले स्थापना दिवस समारोह में सिंगापुर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुंदरेश मेनन मुख्य अतिथि के तौर पर भाषण देंगे.

28 जनवरी 1950 को सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आई 28 जनवरी 1950 को सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आई
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:16 PM IST

न्यायपालिका के इतिहास में नए अध्याय का पहला पन्ना शनिवार चार फरवरी को लिखा जाएगा. जब 73वें साल में पहली बार सुप्रीम कोर्ट अपना स्थापना दिवस सेलिब्रेट करेगा. चार फरवरी को होने वाले स्थापना दिवस समारोह में सिंगापुर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुंदरेश मेनन मुख्य अतिथि के तौर पर भाषण देंगे. लेक्चर का विषय होगा- बदलती दुनिया में न्यायपालिका की भूमिका (The role of judiciary in a changing world). इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है कि ब्रिटिश राज में 1 अक्टूबर 1937 को फेडरल कोर्ट ऑफ इंडिया के तौर पर भारत में सबसे ऊंचे अपीलीय कोर्ट की नींव पड़ी. आजादी मिलने के बाद भारतीय गणतंत्र की घोषणा के दो दिन बाद 28 जनवरी 1950 को सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आई.

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26 जनवरी 1950 को सुप्रीम कोर्ट की घोषणा और संविधान से मंजूरी मिली और दो दिन बाद 28 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया सुप्रीम कोर्ट. भारत के संघीय न्यायालय और प्रिविपर्स काउंसिल का विलय कर सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया यानी भारत का सर्वोच्च न्यायालय बना. संसद भवन के क्वींस कोर्ट में सुबह पौने दस बजे सुप्रीम कोर्ट का पहला इजलास हुआ. सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के मुताबिक CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई और निर्देशन में सर्वोच्च न्यायालय के स्थापना दिवस की परंपरा शुरू हुई है.

इसके पीछे की सोच ये है कि अभी तक सुप्रीम कोर्ट का अपना कोई दिवस या उससे जुड़ा कोई समारोह नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से आयोजित होने वाला मुख्य उत्सव अब तक तो संविधान दिवस ही रहा है. लेकिन ये भी संविधान का उत्सव है ना कि संविधान के संरक्षक सुप्रीम कोर्ट का. ऐसे में CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने ये विचार किया कि नए दौर में देश के हर नागरिक को ये जानना चाहिए कि दौर बदलने के साथ साथ न्यायपालिका कैसे काम कर रही है! दुनिया भर में न्यायपालिकाएं कैसे काम करती हैं और उनके मुकाबले भारत में कैसे काम हो रहा है. इस प्रक्रिया से आम नागरिक खासकर युवा वर्ग जुड़े और जागरूक हों. दुनिया भर से कानून जगत की हस्तियां इस मौके पर अपने विचार रखें और कानून के छात्रों को भी इसका लाभ हो. 

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सूत्रों के मुताबिक CJI चंद्रचूड़ ने इस संबंध में सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुंदरेश मेनन से आग्रह किया कि वो इस समारोह में मुख्य अतिथि बनें. इसके पीछे भी एक वजह ये थी कि जस्टिस मेनन भारतीय मूल के हैं और कानून और न्याय शास्त्र के विशिष्ट विद्वान भी हैं. सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ के आग्रह को जस्टिस सुंदरेश मेनन ने सहजता से स्वीकार भी कर लिया. इस समारोह का सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर सीधा प्रसारण भी होगा, ताकि देश में दूर दराज के क्षेत्रों में मौजूद नागरिक और खासकर युवा वर्ग इससे जुड़े और जागरूक हों. 

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