
गुजरात दंगे में झूठे सबूत तैयार करने के आरोप में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत पर बुधवार को अहमदाबाद के सत्र न्यायालय में सुनवाई हुई. हालांकि दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी. अब इस मामले में 21 जुलाई को दोपहर 3:30 बजे फिर से सुनवाई शुरू होगी.
सुनवाई के दौरान SIT के स्पेशल पीपी मितेश अमीन ने कोर्ट को बताया कि आरोपी तीस्ता सीतलवाड़, संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार ने झूठे आरोप लगाए कि गोधरा ट्रेन कांड एक बड़ी साजिश थी. एसआईटी ने कोर्ट को बताया कि तीनों ने झूठी शिकायतें दर्ज करने के लिए जाकिया जाफरी का एक टूल के तौर पर इस्तेमाल किया था.
सामूहिक कब्र मिलने का झूठ फैलाया
एसआईटी ने कोर्ट को बताया कि तीस्ता सीतलवाड़ ने झूठ फैलाया था कि कई कंकालों के साथ एक सामूहिक कब्र मिली. उन्होंने इस घटना को बड़े स्तर पर कवर करने के लिए सहारा समय के रिपोर्टर राहुल सिंह पर भी दबाव बनाया था लेकिन रिपोर्टर ने यह स्टोरी करने से मना कर दिया था. हालांकि उसी समय तीस्ता सीएनएन के एक वरिष्ठ जर्नलिस्ट के साथ इसी स्टोरी को लेकर लाइव थीं. तीस्ता ने अपने हलफनामे में भी इसका जिक्र किया है.
जाकिया के जरिए नरेंद्र मोदी को आरोपी बनाया
एसआईटी ने बताया कि आरोपियों ने जाकिया से शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा कि गुजरात के कई मंत्री पुलिस कंट्रोल रूम गए हैं. वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रित न की जा सके. उन्होंने यह तय किया कि दंगों को नियंत्रित करने के लिए सेना को न बुलाया जाए.
आरोपियों ने जाकिया के जरिए शिकायत दर्ज कराई कि मामले में सीएम (नरेंद्र मोदी) और अन्य मंत्रियों को आरोपी बनाया जाए. इसके बाद जाकिया ने इन झूठे आरोपों के आधार पर शिकाय दर्ज करा दी थी. इसके जाकिया और तीस्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. एसआईटी ने कहा कि आरोपियों का उद्देश्य अपराध को गुप्त तरीकों से और सनसनीखेज बनाना था.
सीएम को बदनाम करने की साजिश की
इससे पहले भी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान एसआईटी ने एक एफिडेविट फाइल कर कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल से तीस्ता ने से दो बार पैसे लिए थे. इन पैसों का लेन देन सर्किट हाउस में हुआ था. SIT ने तिस्ता को जमानत ना देने के लिए यह एफिडेविट पेश किया.
एसआईटी ने दावा किया था कि तीस्ता के जरिए गुजरात और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री को बदनाम कर राजनीतिक रोटियां सेकने के प्रयास किए गए.
गवाहों को डरा सकती हैं तीस्ता
एसआईटी का कहना है कि तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ अभी भी जांच चल रही है, जिस वजह से वह गवाह को डरा धमका सकती हैं और सबूत को टेम्पर कर सकती हैं. जिस वजह से तीस्ता को जमानत नहीं देनी चाहिए.