
यूपी नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण मामले को लेकर हाई कोर्ट लखनऊ बेंच में अब 21 दिसंबर को भी सुनवाई होगी. इसी के साथ ही निकाय चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी करने पर लगी रोक को भी कोर्ट ने बुधवार तक के लिए बढ़ा दिया है. इससे पहले हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस डीके उपाध्याय और सौरभ श्रीवास्तव की बेंच में इस मामले में मंगलवार को दोनों पक्षकारों के वकीलों ने अपनी दलीलें पेश कीं.
कोर्ट ने ओबीसी को आरक्षण देने की मांग वाली याचिका पर आपत्ति जताई है. जज ने कहा कि पीआईएल ठीक से नहीं दायर की गई है.इसके बाद कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल पीआईएल के मुद्दे पर सुनवाई होगी. व्यक्तिगत निकायों के मसले नहीं सुने जाएंगे इसके बाद स्टे को कल तक के लिए बढ़ाया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि निकाय चुनाव को लेकर 21 दिसंबर को ही फैसला आ सकता है. मालूम हो कि हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकार से इस मामले में जवाब मांगा था, जिस पर आज दोनों पक्षों ने अपनी दलील रखी.
हाई कोर्ट का फैसला सरकार के पक्ष में आता है तो जनवरी महीने में चुनाव हो सकते हैं, लेकिन अगर याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आया तो निकाय चुनाव अप्रैल-मई 2023 तक टल सकते हैं. माना जा रहा है कि हाई कोर्ट से अगर फैसला सरकार के पक्ष में आया तो याचिकाकर्ता SC में अपील कर सकते हैं.
760 सीटों के लिए होना है चुनाव
सूबे के नगरीय निकायों का कार्यकाल 12 दिसंबर से 19 जनवरी के बीच खत्म हो रहा है. इस बार 760 नगरीय निकायों में चुनाव होना है. इसके लिए राज्य सरकार ने सीटों का आरक्षण भी जारी कर दिया है. प्रदेश की नगर निगमों के मेयर, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायतों के अध्यक्ष और पार्षदों के आरक्षण को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसे लेकर पेंच फंस गया है. ओबीसी को उचित आरक्षण का लाभ दिए जाने और सीटों के रोटेशन के मुद्दों को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की.
ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला नहीं लागू किया
हाई कोर्ट में एक याचिका में कहा गया है कि सरकार ने निकाय आरक्षण में पिछड़ों के आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला लागू नहीं किया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने पहले स्थानीय निकाय चुनाव की अंतिम अधिसूचना जारी करने पर 20 दिसंबर तक रोक लगा दी थी. साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया था कि 20 दिसंबर तक बीते 5 दिसंबर को जारी अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना के तहत आदेश जारी न करे.
सरकार ने यह दिया है जवाब
खंडपीठ ने निकाय चुनाव के आरक्षण पर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था. इस पर प्रदेश सरकार ने कहा है कि 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए और इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए. निकाय चुनाव से जुड़ी याचिकाओं पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में मंगलवार को सुनवाई होगी. सभी पक्ष सरकार के जवाब पर प्रतिउत्तर दाखिल करेंगे.