
यूपी में गैंगस्टर एक्ट को लेकर कई मौकों पर विवाद देखने को मिल जाता है. सरकार जरूर इस एक्ट के जरिए आरोपियों पर नकेल कसने का दावा करती है, लेकिन समय-समय पर इसके दुरुपयोग की खबरें भी आती रहती हैं. इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट में यूपी के गैंगस्टर एक्ट की वैधता को लेकर एक जनहित याचिका दाख़िल की गई है. याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस द्वारा गैंगस्टर अधिनियम का दुरुपयोग किया जा रहा है, जो मनमाने ढंग से जिसके खिलाफ चाहें वो प्रावधानों को लागू करते हैं. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एक केस होने पर गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने की वैधता को भी चुनौती दी गई.
गैंगस्टर एक्ट का विरोध क्यों?
गैंगेस्टर एक्ट के तहत लोगों की प्रॉपर्टी जब्त करना भी संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ है. याचिका में कहा गया है कि जिस व्यक्ति ने अपराध किया है और जिसके खिलाफ पहले ही FIR दर्ज की जा चुकी है, उसके खिलाफ अधिनियम के तहत फिर से FIR दर्ज करना, भारत के संविधान के अनुच्छेद 20 (2) का उल्लंघन है. सरकार द्वारा बनाए गए गैंगस्टर अधिनियम और नियम आरोपी व्यक्तियों का कोई भेदभाव नहीं करता है. इसलिए, पुलिस द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा रहा है, जो मनमाने ढंग से किसी के खिलाफ प्रावधानों को लागू करते हैं, याचिका में कहा गया है.
याचिका में इस बात पर भी जोर दिया गया कि गैंगेस्टर एक्ट कानून के शासन के खिलाफ है. याचिका में आरोपी की 60 दिन की पुलिस रिमांड देने के प्रावधान को भी चुनौती दी गई है. आरोपी की संपत्ति को अधिग्रहण करने के पुलिस के अधिकार को भी गलत बताया गया है. याचिका में कहा कि यूपी गैंगस्टर ऐक्ट के अधिनियम अनुच्छेद 14 की कसौटी पर पूरी तरह से विफल है.