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SC में यूपी गैंगस्टर्स एक्ट को अवैध घोषित करने की मांग, CJI बोले- अगले हफ्ते करेंगे सुनवाई    

यूपी गैंगस्टर्स एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. CJI की बेंच के सामने बुधवार को यह मामला लगाया गया, जिस पर सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वे इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई करेंगे. याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस द्वारा गैंगस्टर अधिनियम का दुरुपयोग किया जा रहा है, जो मनमाने ढंग से जिसके खिलाफ चाहें वो प्रावधानों को लागू करते हैं.

काफी विवादित होने के कारण यूपी गैंगस्टर्स एक्ट को SC में दी गई है चुनौती (सांकेतिक फोटो) काफी विवादित होने के कारण यूपी गैंगस्टर्स एक्ट को SC में दी गई है चुनौती (सांकेतिक फोटो)
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:33 AM IST

यूपी गैंगस्टर्स एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. CJI की बेंच के सामने बुधवार को यह मामला लगाया गया, जिस पर सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वे इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई करेंगे.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से सीजेआई के सामने कहा कि यह एक्ट पुलिस और जिला मजिस्ट्रेट को अतिरिक्त संवैधानिक शक्तियां देता है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक्ट की वैधता को बरकरार रखा है, जबकि यह संवैधानिक सिद्धांतों और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.

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याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस द्वारा गैंगस्टर अधिनियम का दुरुपयोग किया जा रहा है, जो मनमाने ढंग से जिसके खिलाफ चाहें वो प्रावधानों को लागू करते हैं. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एक केस होने पर गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने की वैधता को भी चुनौती दी गई.

याचिका में यूपी गैंगस्टर्स एंड असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 की धारा 3, 12 और 14 के साथ-साथ नियम 16(3), 22, 35, 37(3) और नियम 40 और यूपी गैंगस्टर एवं असामाजिक गतिविधियां (निवारण) नियमावली, 2021 को असंवैधानिक एवं अवैध घोषित करने की मांग की गई है.

गैंगस्टर एक्ट का विरोध क्यों?

गैंगेस्टर एक्ट के तहत लोगों की प्रॉपर्टी जब्त करना भी संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ है. याचिका में कहा गया है कि जिस व्यक्ति ने अपराध किया है और जिसके खिलाफ पहले ही FIR दर्ज की जा चुकी है, उसके खिलाफ अधिनियम के तहत फिर से FIR दर्ज करना, भारत के संविधान के अनुच्छेद 20 (2) का उल्लंघन है. सरकार द्वारा बनाए गए गैंगस्टर अधिनियम और नियम आरोपी व्यक्तियों का कोई  भेदभाव नहीं करता है. इसलिए, पुलिस द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा रहा है, जो मनमाने ढंग से किसी के खिलाफ प्रावधानों को लागू करते हैं, याचिका में कहा गया है.

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याचिका में इस बात पर भी जोर दिया गया कि गैंगेस्टर एक्ट कानून के शासन के खिलाफ है. याचिका में आरोपी की 60 दिन की पुलिस रिमांड देने के प्रावधान को भी चुनौती दी गई है. आरोपी की संपत्ति को अधिग्रहण करने के पुलिस के अधिकार को भी गलत बताया गया है. याचिका में कहा कि यूपी गैंगस्टर ऐक्ट के अधिनियम अनुच्छेद 14 की कसौटी पर पूरी तरह से विफल है.

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