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चार अदालतें, अनगिनत पक्षकार और याचिकाओं की भरमार... वाराणसी से SC तक ज्ञानवापी केस में कहां, कितने चल रहे केस?

ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट की रोक और हाई कोर्ट जाने के आदेश के बाद हिंदू और मस्लिम पक्ष मंगलवार को हाई कोर्ट पहुंच गए. 1919 से शुरू हुआ विवाद आज भी जारी है. इस दौरान कई याचिकाएं दायर की गईं, कई बार मामला जिला कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है.

ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे कराने का मामला अब हाई कोर्ट पहुंचा (फाइल फोटो) ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे कराने का मामला अब हाई कोर्ट पहुंचा (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • वाराणसी,
  • 25 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 2:28 PM IST

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का ऐतिहासिक विवाद याचिकाओं, अदालतों और सियासी बवंडर में उलझा हुआ एक ऐसा केस बनता जा रहा है जिसमें जितने पक्षकार हैं, उससे ज्यादा याचिकाएं और उतनी ही अदालतों का चक्कर. वाराणसी के सेशन कोर्ट, जिला कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दर पर लगातार याचिकाएं, मांगे और दलीलों की बढ़ती फेहरिश्त मामले को और उलझा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वे पर 26 जुलाई तक रोक लगा दी और जिला अदालत के फैसले के खिलाफ याचिका फिर हाई कोर्ट पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति को हाई कोर्ट जाने को कहा था.

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कहां कितनी उलझन?

अब मुस्लिम पक्ष मामले को लेकर हाई कोर्ट पहुंचे हैं. जिला जज ने 21 जुलाई को मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वे कराने का आदेश दिया था, जिसकी रिपोर्ट 4 अगस्त तक जिला अदालत में पेश करने को कहा गया है. इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था, जिसके बाद दो दिन के लिए सर्वे पर रोक लगा दी गई है. पहले भी दो बार निचली अदालतों ने एएसआई सर्वे का आदेश दिया था, लेकिन हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट इस रोक लगा चुकी है.

वाराणसी की जिला अदालत ने आठ अप्रैल 2021 को ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे का आदेश दिया था लेकिन काम शुरू होने से पहले ही सितंबर 2021 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी थी. इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 मई 2023 को वजूखाना में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और एएसआई सर्वे का आदेश दिया था लेकिन 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी थी. जानते हैं यह मामला कितने कोर्ट में चल रहा है, कौन-कौन सी याचिकाएं लगाई गई हैं और इन मामलों में कितने पक्षकार हैं.

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मांगों और दलीलों का पेच

18 अगस्त 2021 में पांच महिलाओं- रेखा पाठक, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी, सीता साहू और राखी सिंह ने वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिविजन की बेंच में एक याचिका दायर की थी. उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित शृंगार गौरी मंदिर में नियमित रूप से पूजा-पाठ करने व अन्य देवी देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखने की मांग की थी.

इसके जवाब में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति जता दी थी. उसका कहा था कि कोर्ट को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के तहत वाद सुनने का अधिकार नहीं है, लेकिन जिला अदालत ने कमेटी की अर्जी को सुनवाई योग्य ना मानते हुए उसे खारिज कर दिया था. इसके बाद कमेटी ने जिला अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी थी. मई 2023 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया था. साथ ही हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई को निचली अदालत में फॉर्वर्ड कर दिया था. अभी श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा का केस वाराणसी कोर्ट में चल रहा है.

कई-कई अदालतों का चक्कर

हिंदू महिलाओं की याचिका पर पिछले साल मई में जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था. तीन दिन तक सर्वे किया गया था. इसके बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था. दावा था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है. 

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इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. SC ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था. मुस्लिम पक्ष की दलील थी कि ये प्रावधान के अनुसार और उपासना स्थल कानून 1991 के परिप्रेक्ष्य में यह वाद पोषणीय नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं नहीं हो सकती है. हालांकि, कोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य माना था.

कहां किन याचिकाओं की सुनवाई

वाराणसी के जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश के कोर्ट ने इसी साल मई में फैसला दिया था कि ज्ञानवापी विवाद से जुड़े सभी सात मामलों की एक साथ सुनवाई होगी. हिंदू पक्ष ने सभी मामलों को क्लब करने की मांग की थी. उनका कहना था कि सातों मुकदमे एक ही प्रकृति के हैं, एक ही मामले से जुड़े हैं और अपने-अपने अधिकारों के लिए दायर किए गए हैं, लेकिन सभी की सुनवाई वाराणसी में ही अलग-अलग अदालतों में चल रही है. इससे कई बार मतभेद और भ्रम को स्थिति भी बनती है. यह न्यायिक प्रक्रिया के लिए उचित नहीं है.

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ऐसे में इन सातों मामलों की सुनवाई एक साथ एक ही अदालत में की जाए. पहला मामला अविमुक्तेश्वरानंद, दूसरा मां श्रृंगार गौरी व अन्य,तीसरा आदि विश्वेश्वर व अन्य, चौथा आदि विश्वेश्वर आदि, पांचवां मां गंगा व अन्य, छठा सत्यम त्रिपाठी व अन्य और सातवां नंदी जी महाराज की तरफ से दाखिल वाद हैं. अब सभी मामलों की एक साथ सुनवाई चल रही है.

क्या है हिंदू पक्ष का दावा?

हिंदू कार्यकर्ता दावा कर रहे हैं कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर मौजूद था और 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर इसे ध्वस्त कर दिया गया था. हिंदू पक्ष ने अदालत के आदेश की सराहना की. अदालत के बाहर लोगों की भीड़ "हर-हर महादेव" के नारे लगाए. 
हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर के तीन गुंबदों, पश्चिमी दीवार और पूरे परिसर की आधुनिक तरीके से जांच करने के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.

क्या है मुस्लिम पक्ष का कहना?

मस्जिद प्रबंधन के वकील मोहम्मद तौहीद खान ने कहा कि वह वाराणसी अदालत के आदेश को चुनौती देंगे. उन्होंने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है और हम इसके खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएंगे. इस सर्वेक्षण से मस्जिद को नुकसान हो सकता है. वहीं, मस्जिद प्रबंधन ने कहा कि संरचना 'वज़ूखाना' में पानी के फव्वारे का हिस्सा है. 

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ऐतिहासिक जंग की अहम तारीखें.

- 1919 : स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वाराणसी कोर्ट में पहली याचिका दायर हुई. याचिकाकर्ता ने ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी.

- 1998 : ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमान इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया. कमेटी ने कहा कि कानून इस मामले में सिविल कोर्ट कोई फैसला नहीं ले सकती. हाईकोर्ट के आदेश पर सिविल कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगी. 22 साल तक ये केस पर सुनवाई नहीं हुई.

- 2019 : स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से विजय शंकर रस्तोगी ने वाराणसी जिला अदालत में याचिका दायर की. इस याचिका में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से कराने की मांग की गई. 

-2020: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिविल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख दिया.  2020 में ही रस्तोगी ने निचली अदालत का रुख भी किया, जिसमें मामले की सुनवाई फिर से शुरू करने की मांग की.  

-अप्रैल 2021- हाई कोर्ट की रोक के बावजूद वाराणसी सिविल कोर्ट ने मामला दोबारा खोला और मस्जिद के सर्वे की इजाजत दे दी. इसके बाद अंजुमान इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने ज्ञानवापी परिसर का ASI से सर्वे कराने की मांग वाली याचिका का विरोध किया. हाई कोर्ट ने फिर सिविल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी.

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-अगस्त 2021- पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति मांगी.

-अप्रैल 2022- अप्रैल में सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने और उसकी वीडियोग्राफ़ी के आदेश दे दिए. यहा एक बार फिर मस्जिद इंतजामिया ने कई तकनीकी पहलुओं को आधार बनाते हुए इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की जो खारिज हो गई.

-मई, 2022-  सेशन कोर्ट में हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले वाराणसी सिविल कोर्ट ने मस्जिद के अंदर शिवलिंग मिलने का जहां दावा किया गया था उसे सील करने और नमाज अदा करने पर रोक लगाने का फैसला दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 'शिवलिंग' की सुरक्षा और वुजूखाने को सील करने का आदेश दिया लेकिन मस्जिद में नमाज जारी रखने की इजाजत दे दी.

-सितंबर 2022:  वाराणसी जिला अदालत ने 5 महिलाओं की उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में देवी देवताओं की पूजा की मांग की थी. इसके साथ ही कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की अपील को भी खारिज कर दिया.

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मई 2023-  2023 में भी इस मामले को लेकर समय-समय पर अदालत में सुनवाई हुई. मई 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई के सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की साइंटफिक सर्वे की याचिका को स्वीकार कर लिया.

जुलाई, 2022- 21 जुलाई को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया था और चार अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा.

 

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