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'हमें नतीजे चाहिए, हम पॉल्यूशन से लोगों को मरने नहीं दे सकते...' पराली को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा कि हम ये नही कह रहे है कि ये आसान मामला है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या आप चाहते है कि ये आदेश हम पारित कर दें कि सभी राज्य सरकार के अधिकारी बिना मास्क के काम करें? तभी आम जनता के स्वास्थ्य के बारे में इनको पता चलेगा?

प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में हुई अहम सुनवाई प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में हुई अहम सुनवाई
संजय शर्मा/कनु सारदा/अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST

प्रदूषण बढ़ाने में पराली जलाने की भूमिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने पंजाब सरकार से सवाल करते हुए कहा कि राज्य सरकार आखिर किसानों के संगठन से बात क्यों नहीं करती? उनका संगठन बेहद एक्टिव है. राज्य सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए और प्रदूषण कम होना ही चाहिए. कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण कैसे कम होगा ये राज्य सरकारें तय करें.

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हम चाहते हैं समाधान- सुप्रीम कोर्ट

इस दौरान अमाइकस अपराजिता सिंह ने बताया कि फार्म बर्निंग से कुल प्रदूषण में 24 फीसद योगदान है. इसके अलावा कोयला और फ्लाई ऐश से 17 फीसद और वाहनों से 16 फीसद प्रदूषण रिकॉर्ड किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि सभी जानते हैं कि प्रदूषण के स्रोत क्या हैं लेकिन सभी कोर्ट के व्हिप का इंतजार करते हैं. हमारे पास हर समस्या का समाधान है पर कोई कुछ नहीं कर रहा है.

कोर्ट ही कहा कि हम नतीजे चाहते हैं. हम विशेषज्ञ नहीं हैं लेकिन हम समाधान चाहते हैं. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, आज दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति DPCC के अध्यक्ष कोर्ट में पेश हुए. DPCC के वकील ने कोर्ट को बताया 'स्मॉग टावर experimental basis पर  शुरू किए गए थे.जून से सितंबर/अक्टूबर तक स्मॉग टावर को बंद करना होता है. बारिश के मौसम में इसे चालू रहने नहीं दिया जा सकता. इसके बाद मौसम अचानक से बदला है.'

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किसानों को करें प्रोत्साहित

जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि हर साल ऐसा होता है. छह साल से हर कोई इससे जूझ रहा है. डेटा प्रोसेसिंग महत्वपूर्ण काम था. एमाइकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कहा कि अब डेटा वेबसाइट पर आ गया है. डेटा काफी हद तक समान है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ उपायों को ग्राउंड लेवल पर लागू करना चाहते हैं. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि पराली जलाने की एक बड़ी वजह पंजाब में धान की खास किस्म की खेती होना है.  किसानों को दूसरी फसलों के लिए प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है और फिर भी पराली जलाने पर रोक ज़रुरी है.

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया, 'पराली जलाने पर रोक कैसे लगे कैसे मॉनिटर करे ये जरूरी है. एफआइआर रजिस्टर करना समस्या का समाधान नहीं है. अगर आप चाहें तो ये कर सकते है कि अगर कोई पराली जलता है तो उसे सब्सिडी नहीं मिलेगी. सभी राज्य सरकार जिम्मेदार हैं. आप सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिव है और अगर समस्या का समाधान नहीं निकलता है तो इनको यही बैठा लेंगे जब तक समस्या का समाधान नहीं निकलता.'

ऑड-ईवन पर उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने एमाईकस के बयान को कोट करते हुए ऑड-ईवन पर फिर सवाल उठाए और कहा कि इस स्कीम से फायदा नही होगा. दिल्ली सरकार ने दो रिसर्च सुप्रीम कोर्ट से साझा करते हुए कहा कि इससे इस स्कीम के जरिए फायदा होगा. कोर्ट ने कहा कि आपको जो करना है आप करें. कल को आप कहेंगे की सुप्रीम कोर्ट ने करने नही दिया. हम बस ये कहना चाहते है की ये असर हो रहा है स्कीम का. आप अपना फैसला लीजिए. इसमें हम कुछ नहीं कह रहे है. हमें लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है. हर किसी के पास दो कार तो नही  होगीं, लेकिन अगर स्कूटर है तो उस पर लागू नहीं होगा. आपको जो करना है आप करें.

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एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि फार्म फायर तेजी से बढ़ रहा है और इसकी वजह से पंजाब में हर जगह लाल दिख रहा हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने पर रोक लगानी होगी. ये राज्य सरकार द्वारा करना होगा. कोई भी कैसे किसी दूसरे विकल्प पर जायेगा जब तक उसे सुविधा न दी जाए.  विकास सिंह ने कहा 80 फीसदी मशीनों सब्सिडी है लेकिन उसके बाद भी किसान उसे नही ले रहे है.

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