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Explainer: क्या है ट्रिब्यूनल में नियुक्तियों का मामला, जिसे लेकर केंद्र पर भड़का सुप्रीम कोर्ट?

ट्रिब्यूनल्स में नियुक्तियों को लेकर चल रही सुनवाई में एक बार सुप्रीम कोर्ट तो इतना नाराज हो गया कि अदालत को कहना पड़ा कि क्या केंद्र सरकार ट्रिब्यूनल को बंद करना चाहती है. सदस्यों के अभाव में ये ट्रिब्यूनल निष्क्रिय पड़े हैं और इनके सामने मामलों का बोझ बढ़ता जा रहा है. 

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST
  • ट्रिब्यूनल में 200 से ज्यादा पद हैं खाली
  • सुप्रीम कोर्ट कई बार जता चुका है नाराजगी

देश के अलग-अलग ट्रिब्यूनल में बड़ी संख्या में पद खाली हैं. सुप्रीम कोर्ट बार-बार केंद्र सरकार से कह रहा है कि इन पदों पर सदस्यों की नियुक्ति की जाए, लेकिन इन ट्रिब्यूनल पर अभी तक भर्तियां पूरी नहीं हो सकी हैं. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट लगातार केंद्र को फटकार लगा रहा है. आखिर क्या है ये पूरा मामला हम आपको समझाते हैं? 

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बता दें कि न्यायालयों के अलावा देश में लगभग 15 (ट्रिब्यूनल्स) न्यायाधिकरण हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार इन ट्रिब्यूनल में 200 से ज्यादा पद खाली हैं. 

कहां होनी है भर्तियां

अगर विस्तार से बात करें तो देश भर में न्यायाधिकरणों में  20 पीठासीन अधिकारियों, 110 जूडिशल मेंबर्स, 111 टेक्निकल मेंबर्स के पद खाली हैं. इन ट्रिब्यूनल्स में रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, धनशोधन निवारण अधिनियम अपीलेट ट्रिब्यूनल अहम है.

इसके अलावा NCLT (National Company Law Tribunal), NCLAT (National Company Law Appellate Tribunal), TDSAT (Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal), DRT (Debts Recovery Tribunals), AFT (Armed Forces Tribunal), ITAT (Income tax Appellate Tribunal) और उपभोक्ता फोरम में भी सदस्यों के पद खाली पड़े हैं. 

6 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 15 से ज्यादा न्यायाधिकरणों में पीठासीन अधिकारी तक नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिक्तियों को भरने के लिए मौजूदा न्यायाधीशों के नेतृत्व वाली चयन समितियों द्वारा नामों की सिफारिशों को सरकार ने बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया है. 

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इन ट्रिब्यूनल्स में खाली पदों की वजह से ये काम नहीं कर पा रहे हैं. न्यायाधिकरणों में नियुक्तियों को लेकर चल रही सुनवाई में एक बार सुप्रीम कोर्ट तो इतना नाराज हो गया कि अदालत को कहना पड़ा कि क्या केंद्र सरकार ट्रिब्यूनल को बंद करना चाहती है. सदस्यों के अभाव में ये ट्रिब्यूनल निष्क्रिय पड़े हैं और इनके सामने मामलों का बोझ बढ़ता जा रहा है. 

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था एनसीएलटी और एनसीएलएटी जैसे महत्वपूर्ण ट्रिब्यूनल में रिक्तियां नुकसानदेह है, वे अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं. सशस्त्र बलों और उपभोक्ता ट्रिब्यूनल में भी वैकेंसी मामलों के समाधान में देरी का कारण बन रही हैं. बता दें कि NCLT और NCLAT में कंपनी मामलों की सुनवाई होती है.

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2020 में ही ट्रिब्यूनल कमीशन बनाने को कहा था

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में ही केंद्र को कहा था कि वो एक नेशनल ट्रिब्यूनल कमीशन बनाए जो कि न्यायाधिकरणों में नियुक्ति और उनके कामकाज के लिए एक स्वतंत्र संस्था के रूप में काम करे और उसकी प्रशासनिक जरूरतों का ख्याल रखें. लेकिन लगभग 10 महीने गुजर जाने के बाद भी इस बाबत केंद्र की ओर से कुछ खास नहीं किया गया है. 

बुधवार 15 सितंबर को इस मामले में सुनवाई करते हुए नेशनल ट्रिब्यूनल कमीशन हमें अबतक कोई जानकारी नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने तब यह भी आदेश दिया था कि जब तक राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल कमीशन का गठन नहीं हो जाता, तब तक वित्त मंत्रालय में एक विशेष शाखा बनाई जाए जो ट्रिब्यूनलों की जरूरतों का ध्यान दे ताकि न्याय प्रक्रिया में देरी न हो. हालांकि इस पर भी अब कोई खास प्रगति नहीं हुई है.

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'हम लोग बहुत ही नाखुश हैं'

15 सितंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश हो रहे अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल को कहा कि जैसी स्थितियां हैं और ये जिस ओर जा रही हैं, इससे हम बेहद ही नाराज हैं. अदालत ने केंद्र ने कहा कि आप लोगों को न्याय से दूर नहीं रख सकते हैं.

अदालत ने केंद्र सरकार को बाकी की नियुक्तियां करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है और इस बारे में एक विस्तृत शपथपत्र दायर करने को कहा है. इस शपथ पत्र में इस बात का जिक्र होगा कि सरकार ने कितनी नियुक्तियां की हैं और कितने स्थान अबतक खाली हैं. हालांकि केंद्र ने 11 सितंबर को NCLT में 18 सदस्यों की नियुक्ति को मंजूरी दी है, इनमें 8 न्यायिक सदस्य और 10 तकनीकी सदस्य शामिल हैं. 
 

 

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