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MCD: स्थाई समिति के चुनाव का क्या 'तीसरा टेस्ट' होगा? HC में कसौटी पर कसी जाएगी प्रक्रिया

दिल्ली में MCD में स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को दोबारा कराने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने स्टैंडिंग कमेटी के नए सिरे से चुनाव पर रोक लगा दी है. बीजेपी के पार्षदों ने इसे लेकर याचिका दायर की थी. इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने एलजी, मेयर, एमसीडी को नोटिस भी जारी किया.

दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय. (फोटो- पीटीआई) दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय. (फोटो- पीटीआई)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 26 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:00 AM IST

दिल्ली नगर निगम में स्टैंडिंग कमेटी (स्थाई समिति) के चुनाव को लेकर घमासान मचा है. फिलहाल, मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है. शनिवार को HC ने मेयर के निर्णय को पेंडिंग में रख दिया है. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि स्थाई समिति के लिए क्या तीसरा परीक्षण होगा? यानी क्या कोर्ट अपने स्तर पर परीक्षण करेगा. माना जा रहा है कि तीसरी कसौटी पर अब चुनाव और इसकी प्रक्रिया कसा जाएगा. 

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दरअसल, पहला परीक्षण तो राज्य निर्वाचन आयोग की तकनीकी टीम ने किया. कायदे से स्थाई समिति का चुनाव अन्य चुनाव से हटकर और राष्ट्रपति चुनाव से सटकर होता है. यानी दोनों में समानुपातिक पद्धति से वोट डाले जाते हैं. जितने सदस्य चुने जाने हैं उतने लोगों को प्राथमिकता के आधार पर वोट देने होते हैं.

वोटिंग में क्यों फंसा पेंच?

वोट के दौरान पेन, स्याही, वोट के लिए प्राथमिकता के नंबर लिखने का तरीका आदि सब तय रहता है. ये बखेड़ा भी बीजेपी पार्षद के बैलेट पेपर पर अपनी प्राथमिकता लिखने के अलग ढंग की वजह से हुआ. हालांकि, दिल्ली के राज्य निर्वाचन आयोग की तकनीकी टीम ने उस वोट को वैध मानते हुए अपनी राय और नतीजा सुना दिया. लेकिन मेयर ने दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग की टीम की राय और निर्णय मानने से इंकार करते हुए फिर से मतदान कराने का आदेश दिया.

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हाई कोर्ट ने तलब किए बैलेट पेपर

अब मामला दिल्ली हाईकोर्ट में है. हाईकोर्ट ने मेयर का निर्णय लंबित रखते हुए सुनवाई भी पेंडिंग रख छोड़ी है. यानी मतदान पर तीसरा परीक्षण खुद न्यायालय करेगा. तभी तो कोर्ट ने मेयर और निगम को नोटिस जारी करते हुए सभी बैलेट पेपर, मतदान और गिनती के साथ हंगामे के सीसीटीवी फुटेज संभाल कर रखने के आदेश दे दिए हैं.

क्या मेयर के अधिकार क्षेत्र की व्याख्या होगी?

कानून के जानकारों के मुताबिक, कोर्ट अगर निर्वाचन आयोग की विशेषज्ञ टीम के नतीजों से संतुष्ट रहता है तो शायद दोबारा मतदान की नौबत ना आए. लेकिन मामला सदन का भी है जहां सिक्का और आदेश मेयर का चलता है. अब बड़ा सवाल ये कि कोर्ट मेयर के अधिकार क्षेत्र की भी व्याख्या या परीक्षण करेगा?

अब 27 फरवरी को होगी सुनवाई

बताते चलें कि इस मामले पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने स्टैंडिंग कमेटी के नए सिरे से चुनाव पर रोक लगा दी है. बीजेपी के पार्षदों ने इसे लेकर याचिका दायर की थी. इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एलजी, मेयर, एमसीडी को नोटिस भी जारी किया. सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि मेयर बैलेट पेपर, सीसीटीवी फुटेज और उपलब्ध किसी भी अन्य जानकारी को सुरक्षित रखें. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी. हाई कोर्ट ने मेयर शैली ओबेरॉय को इससे पहले नोटिस का जवाब देने को कहा है.

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मेयर ने अवैध घोषित किया था वोट

दिल्ली नगर निगम में स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए बीजेपी पार्षद शिखा रॉय और कमलजीत सहरावत ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव के दौरान मेयर शैली ओबेरॉय द्वारा एक वोट अवैध घोषित कर दिया गया था, जिसका बीजेपी ने विरोध किया था.

 

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