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कोर्ट में केंद्र ने WhatsApp को बताया विदेशी संस्था, कहा- हमारे कानून की संवैधानिकता पर सवाल नहीं उठा सकती

केंद्र सरकार ने कहा कि व्हाट्सएप भारतीय कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती नहीं दे सकता क्योंकि यह एक विदेशी संस्था है और भारत में इसका कोई व्यवसाय नहीं है.

कोर्ट में केंद्र ने WhatsApp को बताया विदेशी संस्था कोर्ट में केंद्र ने WhatsApp को बताया विदेशी संस्था
संजय शर्मा/अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 9:50 PM IST
  • कोर्ट में केंद्र ने WhatsApp को बताया विदेशी संस्था
  • 'हमारे कानून की संवैधानिकता पर सवाल नहीं उठा सकती'

केंद्र की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप (WhatsApp) संग लंबे समय से तल्खी चल रही है. केंद्र के नए कानून को लेकर लगातार व्हाट्सएप अपनी आपत्ति दर्ज करवा रहा है. लेकिन अब दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र ने व्हाट्सएप की याचिका को ही खारिज करने की मांग कर दी है. बड़ा हमला करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ही विदेशी संस्था बता दिया है.

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केंद्र का व्हाट्सएप पर हमला

केंद्र सरकार ने कहा कि व्हाट्सएप भारतीय कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती नहीं दे सकता क्योंकि यह एक विदेशी संस्था है और भारत में इसका कोई व्यवसाय नहीं है. सरकार ने ये भी तर्क रख दिया कि मौलिक अधिकार सिर्फ देश के नागरिकों के लिए होते हैं किसी विदेशी संस्था के लिए नहीं.

अब ये सारा विवाद केंद्र के नए आईटी कानून को लेकर है जिसमें केंद्र ने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को मूल स्त्रोत की जानकारी देनी होगी. अब कानून के इसी पहलू पर व्हाट्सएप को आपत्ति है क्योंकि उसकी नजर में ऐसा होने पर लोगों की निजता पर असर पड़ेगा और उनकी एंड टू एंड इंक्रिप्शन वाली पॉलिसी भी खतरे में आ जाएगी. इसी वजह से इस मामले को व्हाट्सएप द्वारा कोर्ट में ले जाया गया था.

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किस बात को लेकर विवाद?

अब शुक्रवार की सुनवाई में केंद्र ने व्हाट्सएप की उस याचिका को ही खारिज करने की मांग कर दी. केंद्र ने स्पष्ट कर दिया है कि अनुच्छेद 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकार जरूर दिए गए हैं, लेकिन वो किसी भी विदेशी संस्था को नहीं मिलते हैं. ऐसे में व्हाट्सएप को भारत के किसी भी कानून की संवैधानिकता पर सवाल उठाने का हक नहीं है. पिछली सुनवाई के दौरान भी केंद्र सरकार ने कहा था कि नए आईटी नियम के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से मूल स्त्रोत की जानकारी इसलिए ली जा रही है जिससे गंभीर अपराधों में आरोपियों की जल्द धरपकड़ हो सके. वहीं उन अपराधों को रोकने में भी मदद मिल सकती है.

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