Advertisement

एंटी रेप कानून को पार्टनर के खिलाफ हथियार बनाकर दुरुपयोग कर रही हैं महिलाएं: हाईकोर्ट

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम बात कही. हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाएं अपने पार्टनर्स के खिलाफ बलात्कार विरोधी कानून का हथियार के रूप में दुरुपयोग कर रही हैं.

अपने साथियों के खिलाफ एंटी रेप लॉ का दुरुपयोग कर रहीं महिलाएं: उत्तराखंड हाईकोर्ट अपने साथियों के खिलाफ एंटी रेप लॉ का दुरुपयोग कर रहीं महिलाएं: उत्तराखंड हाईकोर्ट
aajtak.in
  • नैनीताल,
  • 23 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 8:18 AM IST

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि आजकल महिलाएं अपने पुरुष साथी के साथ मतभेद होने पर बलात्कार को दंडित करने वाले कानून का एक हथियार के रूप में दुरुपयोग कर रही हैं. न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने 5 जुलाई को एक शख्स के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एख महिला ने शादी से इनकार करने के बाद शख्स पर बलात्कार का आरोप लगाया था. दोनों 2005 से सहमति से संबंध बना रहे थे.

Advertisement

महिलाएं कर रही हैं कानून का दुरुपयोग

जस्टिस शर्मा ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने भी बार-बार दोहराया है कि अगर दोनों में से किसी एक पक्ष ने शादी करने से इनकार कर दिया हो तो वयस्कों के बीच सहमति से बने शारीरिक संबंध को बलात्कार नहीं कहा जा सकता है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि महिलाएं कलह सहित विभिन्न कारणों से अपने पुरुष साथियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 का दुरुपयोग कर रही हैं.

2005 से रिश्ते में थे आरोपी और महिला

महिला ने 30 जून, 2020 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि आरोपी 2005 से उसके साथ सहमति से यौन संबंध बना रहा था. उसने कहा कि दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया था कि जैसे ही उनमें से किसी एक को नौकरी मिलेगी, वे शादी कर लेंगे. लेकिन बाद में आरोपी ने दूसरी महिला से शादी कर ली और उसके बाद भी उनका रिश्ता जारी रहा, ऐसा दावा किया गया.

Advertisement

हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

हाईकोर्ट ने कहा, ' महिला जानती थी कि जिस साथी के साथ वह रिश्ते में है, वह पहले से ही शादीशुदा है, फिर भी स्वेच्छा से अपना रिश्ता जारी रखा. ऐसी स्थिति में सहमति खुद ही लागू हो जाती है.' अदालत ने कहा कि आपसी सहमति से किसी रिश्ते में प्रवेश करते समय विवाह के आश्वासन की सत्यता की जांच शुरूआत के चरण में की जानी चाहिए, बाद के चरण में नहीं.

हाई कोर्ट ने कहा कि शुरुआती चरण तब नहीं माना जा सकता जब रिश्ता 15 साल तक चला हो और यहां तक कि आरोपी की शादी के बाद भी जारी रहा हो.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement