Advertisement

10 में से 7 भारतीय खा रहे मछली, खान-पान को लेकर आई नई रिपोर्ट

भारत में कितने लोग वेज और कितने लोग नॉन वेज खाना पसंद करते हैं, मछली खाने वाले लोगों की संख्या कितनी बढ़ी है, इसे लेकर एक नई रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट में भारतीयों के खान-पान को लेकर कई अहम जानकारियां दी गई हैं.

फाइल फोटो फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST

मंगलवार को फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो ने घोषणा की कि वह शाकाहारी भोजन की डिलीवरी के लिए 'प्योर वेज' डिलीवरी सिस्टम लॉन्च कर रहा है. प्योर वेज डिलीवरी सिस्टम में जोमैटो ने डिलीवरी बॉय के लिए कपड़े और बैग भी अलग रंग के होने की बात कही थी. हालांकि, बढ़ते विवाद को देखते हुए जोमैटो ने इसे वापस ले लिया है. 

वेज और नॉन-वेज को लेकर बढ़ रहे विवादों के बीच यह जानना बहुत ही जरूरी हो जाता है कि भारत में कितने लोग वेज और कितने लोग नॉन वेज खाना पसंद करते हैं. इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि भारत के लोग किस प्रकार के भोजन पर सबसे ज्यादा खर्च करते हैं.

Advertisement

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की हालिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि भारत में मछली की खपत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मछली खपत में वृद्धि का कारण बढ़ती जनसंख्या और लोगों की बढ़ रही आय है. यह अध्ययन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और वर्ल्डफिश इंडिया द्वारा किया गया है. रिपोर्ट में 2005-2006 और 2019-2021 की तुलना की गई है.

मछली खाने वाले लोगों की संख्या 23 करोड़ बढ़ीः रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, मछली खाने वाले भारतीयों की संख्या 66% से बढ़कर 72.1% हो गई है. यानी प्रतिशत में देखा जाए तो लगभग 6.1 फीसदी की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कुल आबादी 134 करोड़ है जिनमें से 96.6 करोड़ लोग मछली खाते हैं.

वहीं, मछली खाने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी की बात करें तो लगभग 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2005-2006 की रिपोर्ट में मछली खाने वाले लोगों की संख्या लगभग 73 करोड़ बताई गई थी. जो वर्तमान में बढ़कर 96 करोड़ हो चुकी है.

Advertisement

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि साल 2019-20 के दौरान 5.95 प्रतिशत लोगों ने प्रतिदिन मछली का सेवन किया. वहीं, 34.8 प्रतिशत लोगों ने सप्ताह में कम से कम एक बार और 31.35 प्रतिशत लोगों ने कभी-कभार ही मछली का सेवन किया. राज्यवार तुलना की जाए तो त्रिपुरा में मछली खाने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक (99.35 प्रतिशत) है. जबकि हरियाणा में सबसे कम (20.55 प्रतिशत) है.

रिपोर्ट के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में साप्ताहिक मछली खपत का अनुपात ज्यादा है. शहरी क्षेत्रों में यह अनुपात जहां 42.7 प्रतिशत है. इसकी तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात 39.8 प्रतिशत है. हालांकि, शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में मछली की खपत अधिक तेजी से बढ़ी है.

वहीं, अन्य नॉन-वेज खाद्य पदार्थों की बात करें तो अंडा खाने वाले लोगों की संख्या में 7.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जबकि चिकन या मांस खाने वाले लोगों की संख्या में 5.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

मांस, मछली और अंडे पर खर्च ज्यादा

कंजम्पशन एक्सपेंडीचर सर्वे यानी उपभोग व्यय सर्वेक्षण (सीईएस) की एक रिपोर्ट से यह पता चलता है कि भारत में अंडे, मछली और मांस पर औसत घरेलू खर्च में अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में ज्यादा वृद्धि हुई है. एमएमआरपी के आधार पर तैयार रिपोर्ट के मुताबिक, 2009-10 की तुलना में अंडे, मछली और मांस पर औसत घरेलू खर्च में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमशः 4% और 3% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है. जबकि कुल मिलाकर भोजन पर खर्च की वृद्धि केवल  2.2% और 2.1% रही.
 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement