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Daulat ki Chaat: सर्द रातों में बनाई जाती है 'दौलत की चाट'? जानें चांदनी चौक की गलियों में बिकने वाले Dessert की कहानी

दिल्ली की गुलाबी ठंड में जब सारा शहर सो जाता है तो पुरानी दिल्ली के कुछ खानसामे बड़े-बड़े कड़ाही लेकर दूध को मथने खुले मैदान में बैठ जाते हैं. दूध को इतना मथा जाता है कि उसमें खूब सारे झाग बन जाते हैं. इसी झाग से बनाई जाती है दौलत की चाट.

Daulat ki Chaat (File Photo) Daulat ki Chaat (File Photo)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:00 AM IST

History of Daulat ki Chaat: चांदनी चौक की तंग गलियों के नुक्कड़ पर सफेद और पीले रंग की डिश बिकते हुए तो आपने देखा होगा. यकीनन इसे खाया भी होगा लेकिन अगर नहीं खाया तो एक बार इसका लुत्फ उठाना जरूर बनता है. पर आज हम आपको इसके बारे कुछ दिलचस्प बातें बताएंगे.

क्या है दौलत की चाट

यूं तो चाट का नाम आते ही चटपटी चीज का ख्याल आता है लेकिन असल में ये एक स्वीट डिश है. इस डिश को बनाने के लिए मलाईदार गाढ़े दूध को मथा जाता है और मथते वक्त इसमें से जो झाग निकलता है उसे एक कटोरे में रखा जाता है. इस पर हल्के रंग और स्वाद के लिए केसर वाले दूध के झाग के कुछ लेयर्स चढ़ाए जाते हैं. सर्व करने से पहले इस पर चुटकी भर चीनी छिड़की जाती है. वहीं, इसे सर्दियों की रात में बनाया जाता है. 

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सर्दियों में बनाई जाती है ये डिश

दिल्ली की गुलाबी ठंड में जब सारा शहर सो जाता है तो पुरानी दिल्ली के कुछ खानसामे बड़े-बड़े कड़ाही लेकर दूध को मथने खुले मैदान में बैठ जाते हैं. दूध को इतना मथा जाता है कि उसमें खूब सारे झाग बन जाते हैं. इसी झाग से इसे बनाया जाता है. क्योंकि ये डिश दूध को फेंट कर बनाई जाती है इसलिए इसमें तापमान का खास महत्व होता है. यह विंटर डिश है और इसे सर्दियों में ही खाया जाता है.

क्या है इतिहास

परंपरागत रूप से दौलत की चाट केवल सर्दियों के महीनों में ही बनाई जाती थी. कहा जाता है कि ये मिठाई अफगानिस्तान से भारत आई थी. कुछ खाद्य इतिहासकारों का मानना ​​है कि इसे सबसे पहले कजाकिस्तान की बोताई जनजाति ने घोड़ी के दूध से बनाया था. भारत की बात की जाए तो दौलत की चाट का उल्लेख मुगल दरबारों में मिलता है. कहा जाता है कि शाहजहां की बेटी राजकुमारी जहांआरा ने दिल्ली के चांदनी चौक में साम्राज्य का पहला "रिसॉर्ट" बनवाया था  और यहां सर्दियों में दौलत की चाट जरूर होती थी. अभी की बात की जाए तो चांदनी चौक की पराठे वाली गली में आदेश कुमार 40 साल पुरानी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

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क्यों रखा गया ये नाम

इसके नाम के साथ भी कई कहानियां जुड़ी हैं. "दौलत" का मतलब है "धन" और चाट एक स्वादिष्ट मिश्रण को बताता है. कहा जाता है कि क्योंकि इसमें बहुत सारा दूध, सूखे मेवे और केसर होता है, तो ये मूल रूप से उच्च वर्गों के लिए ही था. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि ये इतनी नाजुक है कि इसे किसी कीमती चीज की तरह माना जाना चाहिए. वहीं एक और व्याख्या के मुताबिक, धन की तरह ये मिठाई भी कुछ ही देर में खत्म हो जाती है यानि बहुत हल्की है. इसलिए भी इसे दौलत की चाट का नाम दिया गया.

 

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