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Corona: संक्रमण के इतने दिन बाद अपना असली रूप दिखाता है कोरोना, तब और हो जाएं सावधान

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 मई 2021,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST
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कोरोना वायरस से भारत में हालात बेशक बदतर हो चुके हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में मरीजों की रिकवरी हो रही है. हालांकि ये बीमारी का एक नया रूप है, इसलिए हल्के लक्षण भी नजरअंदाज नहीं किए जा सकते हैं. यही कारण है कि 14 दिन के रिकवरी पीरियड में 5वें दिन से लेकर 10वें दिन का समय बेहद महत्वपूर्ण समझा जाता है. इस टाइमलाइन के दौरान कुछ खास बातों पर बहुत बारीकी से गौर किया जाना चाहिए.

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लक्षणों पर रखें नजर- कोरोना वायरस के ज्यादातर मामले हल्के लक्षण वाले ही होते हैं जिन्हें घर पर आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है. डॉक्टर्स कहते हैं कि शरीर में 5वें दिन से दिखने वाले लक्षणों को मॉनिटर करने और समझने की जरूरत होती है. यदि कोई व्यक्ति अपने रिकवरी पीरियड के मिडिल में हो और उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है तो उसे कुछ विशेष बातों पर ध्यान देने की जरूरत है.

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जैसे लक्षण वैसी रिकवरी- इंफेक्शन के शुरुआती दिनों में लक्षण काफी भ्रम पैदा कर सकते हैं. इस दौरान कुछ लोगों में हल्के लक्षण दिख सकते हैं, जबकि कुछ लोगों में लक्षण नजर ही नहीं आते हैं. हालांकि 5 से 10 दिन के बीच में बॉडी में इंफेक्शन की गंभीरता को समझा जा सकता है.

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एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 5 से 10 दिन का आइसोलेशन पीरियड उन जटिलताओं को सामने ला सकता है जो कोविड-19 के बाद आपको झेलने पड़ सकते हैं. साथ ही इंफेक्शन की गंभीरता का भी संकेत दे सकता है, जिसे समय रहते समझना बहुत जरूरी है.

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एक्सपर्ट कहते हैं कि पहले दिन के बाद ये लक्षण हर इंसान को अलग-अलग ढंग से प्रभावित कर सकते हैं. आमतौर पर इसे वायरल इंफेक्शन की प्रतिक्रिया ही समझा जाता है. हालांकि संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान ऐसा देखा गया कि इंफेक्शन से लड़ने के लिए इम्यून शरीर में जो एंटीबॉडीज बनाता है, उसके ओवर स्टिम्यूलेटेड (अति सक्रिय) होने से स्थिति बिगड़ सकती है. ये 6वें से 7वें दिन के बीच शुरू हो सकता है.

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कोरोना वायरस से मरीज की जंग संक्रमण के 6वें-7वें दिन ही शुरू होती है. यानी रिकवरी पीरियड में 5 से 10 के बीच ही वो समय होता है जब हालात बेहद गंभीर हो सकते हैं. इस दौरान कई लोगों को महसूस हो सकता है कि उनकी हालत सुधरना शुरू हो गई है. ये ऐसा समय भी हो सकता है जिसमें रोगी को अस्पताल में दाखिल करने का वॉर्निंग साइन दिख जाए.

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इस दौरान कई गंभीर लक्षण सामने सकते हैं. जैसे कि ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल का गिरना, बेहोश होना या बुखार का तेज होना. मरीजों के रेस्पिरेटरी सिस्टम में भी दिक्कत बढ़ सकती है. उन्हें बेचैनी, भारीपन और सांस में तकलीफ महसूस हो सकती है. इंफेक्शन के इस दूसरे चरण में कई बार मरीजों को हाइपोक्सिया की परेशानी से जूझना पड़ सकता है, जिसमें बगैर किसी लक्षण के रोगी का ऑक्सीजन नीचे जाने लगता है.

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दूसरे सप्ताह में किसे ज्यादा खतरा- बॉडी में इंफेक्शन की गंभीरता पहले से चल रही किसी बीमारी या उम्र पर भी निर्भर करती है. डॉक्टर्स लगातार कह रहे हैं कि डायबिटीज, हाई कॉलेस्ट्रोल, मोटापा जैसी बीमारियों समेत खराब इम्यूनिटी वाले लोगों के गंभीर रूप से बीमार पड़ने की संभावना ज्यादा है.

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शुरुआती चरण में फेफड़ों में इंफेक्शन को लेकर युवाओं और हेल्दी लोगों को भी सावधान रहने की जरूरत है. इन हालातों में चेस्ट स्कैन, एक्स-रे और ब्लड रिपोर्ट्स पर ध्यान देना जरूरी है. इसे इग्नोर नहीं किया जाना चाहिए.

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कोरोना एक बेहद खतरनाक वायरस है जो मरीजों के लिए कभी भी घातक साबित हो सकता है. इसलिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान और जरूरी कदम उठाने की सख्त जरूरत होती है. दूसरी लहर के दौरान हमने देखा कि मरीजों की देखभाल और हॉस्पिटलाइजेशन सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है, इसलिए डॉक्टर्स के संपर्क में रहें. इसके इलाज में सप्लीमेंटरी ऑक्सीजन थैरेपी और एक्सपेरीमेंटल ड्रग की जरूरत पड़ सकती है.

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