कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बना लेने का दावा करने के बाद अब रूस ट्रायल के नतीजे जारी करने में भी सबसे आगे निकलता दिखाई दे रहा है. पहले छह हफ्तों के आधार रूस अपनी वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के शुरूआती नतीजे जारी करने की योजना बना रहा है. Sputnik V वैक्सीन बनाने वाले गैमेलेया इंस्टीट्यूट के प्रमुख अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने रॉयटर्स को ये जानकारी दी है.
गिंट्सबर्ग का कहना है कि वैक्सीन को लेकर दिखाई जा रही तेजी जरूरी है, हालांकि इसमें सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया गया है. गिंट्सबर्ग ने कहा, 'लोग ऐसे मर रहे हैं जैसे कि कोई युद्ध चल रहा हो. वैक्सीन को लेकर तेजी दिखानी जरूरी थी. हमें एक तय डेडलाइन तक ये वैक्सीन बना लेनी थी लेकिन वैक्सीन की टेस्टिंग में सभी जरूरी दिशानिर्देशों का पालन किया गया है और सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया है.'
पूरी दुनिया में वैक्सीन के ट्रायल अभी जारी हैं. रूस वैक्सीन के तीसरे चरण के नतीजे घोषित करने वाला पहला देश बनने की कगार पर है. रूस की वैक्सीन में निवेश करने में करने वाले सॉवरेन वेल्थ फंड ने अक्टूबर या नवंबर तक वैक्सीन के नतीजे आ जाने की उम्मीद जताई है.
कई देशों के वैक्सीन अपने तीसरे चरण के ट्रायल में हैं लेकिन अब तक किसी भी देश ने इसके अंतरिम नतीजे नहीं बताए हैं. वैक्सीन बनाने वाली इन कंपनियों का कहना है कि वो नतीजे जारी करने को लेकर इंतजार करेंगे जब कि वो इसकी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह आश्वस्त ना हो जाएं.
वहीं गिंट्सबर्ग का कहना है कि ट्रायल के नतीजों को लेकर लोगों में दिलचस्पी है और लोग लंबे से इसका इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वैक्सीन की डोज लेने वाले 40,000 वॉलंटियर्स को 180 दिनों की निगरानी में रखा गया है. अब उनकी टीम अंतिम परिणामों का मिलान करेगी और फिर इसे एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित कराया जाएगा.
रूस की वैक्सीन के पहले चरण के नतीजे पहले ही द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित हो चुके हैं. यहां के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक लगभग 400 आम लोगों को ये वैक्सीन दी जा चुकी है. रॉयटर्स के अनुसार तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे आने के बाद ही ये निर्णय लिया जाएगा कि 60 साल से अधिक लोगों को सामूहिक टीकाकरण अभियान में शामिल किया जाए या नहीं.
गिंट्सबर्ग का कहना है कि वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में किसी तरह के गंभीर दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं. गिंट्सबर्ग ने सार्वजनिक उपयोग के लिए वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के फैसले का बचाव करते हुए इसे नैतिक दृष्टिकोण से सबसे जरूरी कदम बताया.
गिंट्सबर्ग ने ये भी कहा कि रूस का लक्ष्य प्लेसबो की तुलना में लगभग 75 फीसदी अधिक प्रभावी वैक्सीन बनाने का था. उन्होंने कहा कि 40,000 वॉलंटियर्स का मतलब है कि ये ट्रायल प्रभावी है और यहां कोरोना वायरस बहुत धीमी गति से फैल रहा है.