
आज के समय में मोटापा एक भयानक बीमारी का रूप ले चुका है. आमतौर पर लोग मोटापे का माप बीएमआई से लेते हैं लेकिन केवल कद और वजन से मोटापे का सही माप नहीं लिया जा सकता.
मोटापा मापने का नया और सही तरीका है बॉडी फैट का माप. खासकर पेट और कमर के आस-पास की चर्बी से. ऐसे पुरुष, जिनके पेट का घेरा 90 सेंटीमीटर और महिलाएं, जिनके पेट का घेरा 80 सेंटीमीटर से ज्यादा है. ये माप उनके पेट पर अतिरिक्त चर्बी की है. पेट का मोटापा भविष्य में दिल के दौरे और डायबिटीज का भी कारण बन सकता है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉ. के.के. अग्रवाल के अनुसार, कई लोग ऐसे होते हैं जो दिखते तो सामान्य हैं लेकिन उनका पेट लटका होता है. ऐसे लोगों का अगर लीवर अल्ट्रासाउंड करेंगे तो उनका लीवर बढ़ा हुआ मिलेगा. ऐसे लोगों को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके अपनी जीवनशैली में आवश्यक बदलाव करने चाहिए ताकि वे भविष्य में कई प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बच सकें.
कद के साथ-साथ अगर वजन बढ़ता रहे तो इसमें कोई समस्या नहीं होती. पर जब कद एक जगह पर रुक जाता है तो बाकी अंगों का विकास भी रुक जाता है. लड़कियों में यह स्थिति 16 की उम्र में और लड़कों में 18 साल की उम्र में आती है. इसके बाद किसी के लीवर, तिल्ली और किडनी का आकार नहीं बढ़ता. इसके बाद केवल फैट ही बढ़ता है.
पांच किलो तक वजन मांसपेशियां बनने से बढ़ सकता है, लेकिन इस उम्र के बाद अगर किसी का वजन बढ़ने के कुछ और कारण न हों तो उसे मोटापा ही कहा जाता है. इसकी प्रमुख वजह रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेना है. सफेद चीनी, सफेद मैदा और सफेद चावल में ये प्रमुख रूप से होता है.