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बदलती जीवनशैली से भी स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा...

क्या महिलाओं का रहन-सहन कैंसर की वजह बन सकता है. जानिये...

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वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:54 PM IST

भारत में महिलाओं में कैंसर के मामलों में 27 प्रतिशत मामले स्तन कैंसर के हैं. इस तरह की परेशानी 30 वर्ष की उम्र के शुरुआती वर्षो में होती है, जो आगे चलकर 50 से 64 वर्ष की उम्र में भी हो सकती है. स्तन कैंसर के कुछ लक्षणों में स्तन या बगल में गांठ बन जाना, स्तन के निप्पल से खून आना, स्तन की त्वचा पर नारंगी धब्बे पड़ना, स्तन में दर्द होना, गले या बगल में लिम्फ नोड्स के कारण सूजन होना आदि प्रमुख हैं.

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आंकड़ों के मुताबिक, 28 में से किसी एक महिला को जीवनकाल में कभी न कभी स्तन कैंसर होने का अंदेशा रहता है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मुताबिक, भारतीय महिलाओं में छोटी उम्र में ही स्तन कैंसर होने लगा है. जागरुकता की कमी और रोग की पहचान में देरी के चलते उपचार में कठिनाई भी आती है.

स्तन कैंसर में इस रोग के ऊतक या टिश्यू स्तन के अंदर विकसित होते हैं. इस रोग होने के पीछे जो कारक हैं, उनमें प्रमुख हैं जीन की बनावट, पर्यावरण और दोषपूर्ण जीवनशैली. बचाव के लिए जरूरी है कि 30 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं की स्क्रीनिंग आवश्यक रूप से की जाए. साथ ही जीवनशैली में भी कुछ बदलाव किए जाएं तो इस रोग की आशंका कम की जा सकती है.

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आईएमए के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि यह ज्ञात हो चुका है कि डीएनए में अचानक से होने वाले परिवर्तनों के कारण सामान्य स्तन कोशिकाओं में कैंसर हो जाता है. यद्यपि इनमें से कुछ परिवर्तन तो माता-पिता से मिलते हैं. लेकिन बाकी ऐसे परिवर्तन जीवन में खुद ही प्राप्त होते हैं.

प्रोटोओंकोजीन्स की मदद से ये कोशिकाएं बढ़ती ताजी हैं. जब इन कोशिकाओं में म्यूटेशन या उत्परिवर्तन होता है, तब ये कैंसर कोशिकाएं बेरोक-टोक बढ़ती जाती हैं.

ऐसे उत्परिवर्तन को ओंकोजीन के रूप में जाना जाता है. एक अनियंत्रित कोशिका वृद्धि कैंसर का कारण बन सकती है. बीआरसीए1 और बीआरसीए2 जीन में उत्परिवर्तन होते हैं. माता-पिता से उत्परिवर्तित जीन से स्तन कैंसर का जोखिम अधिक होता है. उच्च जोखिम वाली महिलाओं को हर साल एमआरआई और मैमोग्राम कराना चाहिए.

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि एस्ट्रोजेन स्तन ग्रंथियों के ऊतकों के विभाजन को तीव्र करता है. किसी महिला में यदि लंबे समय तक एस्ट्रोजेन अधिक रहता है, तो स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा रहता है. यदि 11 वर्ष की आयु या उससे पहले ही मासिक धर्म शुरू हो जाए या 55 वर्ष या उससे अधिक उम्र में रजोनिवृत्ति हो तो माना जाता है कि एस्ट्रोजेन का एक्सपोजर अधिक है. महिलाओं को 45 वर्ष से 54 वर्ष की उम्र तक हर साल एक बार स्क्रीनिंग मैमोग्राम करा लेना चाहिए. 55 वर्ष या अधिक उम्र की महिलाओं को सालाना स्क्रीनिंग करानी चाहिए.

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स्तन कैंसर से बचाव के कुछ उपाय :

- शराब का सेवन कम करें : शराब से स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. यदि आदी हों तो दिन में एक पैग से अधिक न लें, क्योंकि शराब की कम मात्रा से भी खतरा रहता है.

- धूम्रपान से बचें : अनुसंधान बताता है कि धूम्रपान और स्तन कैंसर के बीच एक संबंध है. इसलिए, यह आदत छोड़ने में ही भलाई है.

- शरीर का वजन काबू में रखें : सक्रिय जीवन जीएं. अधिक वजन या मोटापे से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. रोजाना लगभग 30 मिनट व्यायाम अवश्य करें.

- स्तनपान : स्तनपान कराने से स्तन कैंसर की रोकथाम होती है.

- हार्मोन थेरेपी को कम करें : हार्मोन थेरेपी की अवधि तीन से पांच साल तक होने पर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. सबसे कम खुराक का प्रयोग करें जो आपके लिए प्रभावी है. आप कितना हार्मोन लेते हैं इसकी निगरानी डॉक्टर खुद करे तो बेहतर होगा.

- स्वस्थ आहार लें : फलों और सब्जियों से समृद्ध, संपूर्ण अनाज और कम वसा वाला आहार लें.

- तनाव से बचें : यह प्रतिरक्षा को कमजोर करता है और शरीर के रक्षा तंत्र को बिगाड़ता है. योग अभ्यास, गहरी सांस लेने और व्यायामक रने से लाभ होता है.

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