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विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के मुताबिक दुनियाभर में हर साल करीब 8 लाख लोग खुदकुशी करते हैं. इस हिसाब से हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति अपनी जान देता है. WHO के मुताबिक भारत उन देशों में शामिल है जहां खुदकुशी की दर सबसे ज्यादा है.
वैसे तो आत्महत्या की कोई विशेष उम्र नहीं है, लेकिन दुनियाभर में 15 से 29 साल के लोगों के बीच आत्महत्या, मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह है.
खुदकुशी की रोकथाम के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ AASRA के निदेशक जॉनसन थॉमस ने कहा, 'मन में आत्महत्या का विचार आने पर किसी करीबी के साथ बात को साझा करें.
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अगर आपको खुदकुशी के विचार आ रहे हैं तो आपको किसी करीबी से बात साझा करनी चाहिए जिस पर आप आंख मूंद कर यकीन कर सकें या फिर हेल्पलाइन या प्रफेशनल काउंसलर या मनोचिकित्सक से बात करनी चाहिए.' थॉमस ने कहा कि परिवार और दोस्तों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे आसपास हैं और वे उनसे प्यार करते हैं और उन्हें समझते हैं. परिवार और दोस्तों की सहानुभूति और फिक्र एक प्रियजन की खुदकुशी रोक सकती है.
अंकुर बिंदल महज 21 साल का था और इंजीनियरिंग का विषय पढ़ना उसके लिए मुश्किल था. इसके बाद नौकरी तलाशना और मुश्किल हो गया था. इस बीच उसकी प्रेमिका भी उसे छोड़कर चली गई. उस वक्त अंकुर को एक ही समाधान दिख रहा था कि वह अपनी जिंदगी खत्म कर ले. अब एक कामयाब आईटी प्रफेशनल बन चुके अंकुर ने विश्व खुदकुशी रोकथाम दिवस के मौके पर कहा कि उसने खुदकुशी करने के खिलाफ फैसला लिया क्योंकि वह नहीं चाहता था कि पढ़ाई पूरी करने की उसकी मेहनत बेकार हो जाए इसलिए उसने जीने का फैसला किया.
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अंकुर ने कहा कि मैं यह सब किसी से साझा करना चाहता था, लेकिन आसपास कोई नहीं था. जिस व्यक्ति से मैं प्यार करता था वो मुझे छोड़कर जा चुका था. उसने कभी पलट कर नहीं देखा. सारे दोस्त डिग्री पूरी करने या नौकरी करने में व्यस्त थे. 2009 की मंदी के दौरान मैंने नौकरी के लिए भी संघर्ष किया. मेरी एक सोच थी कि अगर अभी जीवन खत्म करते हैं तो बीटेक की पढ़ाई पूरी करने में मैंने जो मेहनत की है वो बेकार चली जाएगी. इसलिए मैंने जीने का फैसला किया.'