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UK में वैक्सीन लगवाने वालों की कोरोना से ज्यादा मौतें, एक्सपर्ट ने समझाया- क्यों नहीं है चिंता की बात

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST
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कोरोना से बचाव का एकमात्र जरिया वैक्सीन लगवाना ही है. दुनिया भर के एक्सपर्ट्स लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं ताकि इस महामारी पर काबू पाया जा सके. हालांकि, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) की वैक्सीनेशन पर एक नई रिपोर्ट को लेकर कई लोग चिंता जाहिर कर रहे हैं.आइए जानते हैं कि इस रिपोर्ट में क्या है और इससे परेशान होने की जरूरत क्यों नहीं है.
 

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(PHE) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, UK में वैक्सीन ना लगवाने वालों की तुलना में वैक्सीन लगवाने वालों की कोरोना से ज्यादा मौत हो रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, 1 फरवरी से 21 जून के बीच कोविड के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित हुए 257 लोगों की मौतें हुईं. 257 में से 163 लोगों (63.4%) को वैक्सीन की दोनों तो कुछ को एक डोज लगाई गई थी. 

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पहली नजर में ये रिपोर्ट चौंकाने वाली लग सकती है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह बिल्कुल वैसा ही है जैसी कि उम्मीद की जा रही थी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि मान लीजिए कि हर किसी को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है लेकिन फिर भी सभी जिंदगियां नहीं बचाई जा सकती हैं. 
 

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एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना से संक्रमित होने के बाद कुछ लोगों की मौत हो सकती है. इसका मतलब ये नहीं है कि वैक्सीन प्रभावी नहीं है या फिर मौत का खतरा कम नहीं करती है. ज्यादा उम्रदराज होने पर मरीज का कोरोना से मरने का खतरा दोगुना हो जाता है. जैसे कि वैक्सीन ना लगवाने वाले 35 साल के एक व्यक्ति की तुलना में 70 साल के व्यक्ति की कोरोना से मरने की संभावना 32 गुना ज्यादा है. 
 

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आंकड़े बताते हैं कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी युवाओं की तुलना में बुजुर्गों में कोरोना से मौत का खतरा बना रहता है. PHE डाटा के अनुसार, कोरोना की दोनों वैक्सीन लेने के बाद डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती होने का खतरा 96% तक कम हो जाता है.
 

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डेटा के मुताबिक, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि वैक्सीन अस्पताल में भर्ती होने का खतरा तो कम करती है लेकिन मौत से पूरी तरह नहीं बचाती है, खासतौर से बुजुर्गों में. फिर भी पहले से बीमार वैक्सीन ना लगवाने वालों की तुलना में दोनों डोज लगवाने वाले बीमार लोगों में मौत का खतरा बहुत कम हो जाता है.
 

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डेटा के अनुसार, वैक्सीन लगवाने के बाद भी 35 साल के व्यक्ति की तुलना में 70 साल के व्यक्ति में मौत का खतरा बना रहता है. हालांकि, कोरोना का खतरा अब सभी उम्र के लोगों में बराबर है लेकिन डेटा के मुताबिक 70 साल का व्यक्ति अगर वैक्सीन की दोनों डोज लगवाता है तो फिर भी 35 साल के वैक्सीन ना लगवाने वाले व्यक्ति की तुलना में कोरोना से मौत का खतरा 70 साल के व्यक्ति में ज्यादा होगा. 
 

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हालांकि, ये डेटा वर्तमान परिस्थितियों पर पूरी तरह फिट नहीं बैठता है क्योंकि दूसरी लहर में बुजुर्गों की तुलना में कोरोना ने युवाओं को ज्यादा संक्रमित किया है. ऐसे में वैक्सीन ना लगवाने पर मौत का खतरा युवाओं में भी ज्यादा है.
 

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एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोई भी वैक्सीन मौत से पूरी तरह तो नहीं बचा सकती है लेकिन इसकी संभावना काफी हद तक कम कर सकती है. कोरोना के वेरिएंट से बचाव में वैक्सीन बहुत प्रभावी है. इसलिए हर किसी को पूरी सुरक्षा के लिए वैक्सीन को दोनों डोज लगवानी जरूरी है.
 

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वैक्सीन लगवाने के बाद कोरोना का खतरा पहले की तुलना में बहुत कम हो जाता है लेकिन फिर भी ये संक्रमित कर सकता है. इसलिए वैक्सीन लगवाने के साथ ही कोरोना उपयुक्त व्यवहार अपनाना बहुत जरूरी है. वैक्सीन लगवाने के बाद भी मास्क जरूर लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें.
 

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