ऐसी कई रिपोर्ट आ चुकी हैं जिसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस डायबिटीज के मरीजों का आसानी से अपना शिकार बना रहा है. कई ऐसे केस देखे जा चुके हैं जहां डायबिटीज के मरीजों के लिए कोरोना वायरस खतरनाक साबित हुआ है. अब नई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस की वजह से भी लोगों में डायबिटीज हो रही है.
लंदन के एक 28 साल के के सेहतमंद व्यक्ति को जून के महीने में बुखार और सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई. टेस्ट कराने पर मैरियो कोरोना पॉजिटिव पाया गया. दवाइयां चलने के बाद उसकी सेहत में सुधार होने लगा. तभी अचानक एक दिन मैरियो को कमजोरी महसूस हुई और उसे उल्टियां होने लगीं. उसे जल्द ही नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने आईसीयू में रखा.
डॉक्टरों ने कहा मैरियो लगभग कोमा में जाने वाला था और अगर समय अस्पताल नहीं आता तो उसकी मौत भी हो सकती थी. डॉक्टरों ने बताया कि मैरियो को टाइप 1 डायबिटीज है. ये सुनकर मैरियो हैरान रह गया क्योंकि उसको कभी भी डायबिटीज की समस्या नहीं थी. डॉक्टरों ने उसे बताया कि ये कोरोना वायरस की वजह से हुआ है.
ये मामला सामने आने के बाद डायबिटीज और Covid-19 के इस खतरनाक संबंध को लेकर डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों की चिंता और बढ़ गई है और इस पर स्टडी शुरू की जा चुकी है. कई एक्सपर्ट का दावा है कि Covid-19 की वजह से कई लोगों को, यहां तक कि बच्चों में भी डायबिटीज की शुरूआत हो सकती है. भले ही पहले उनका इससे सामना ना हुआ हो.
किंग्स कॉलेज लंदन में डायबिटीज के शोधकर्ता डॉक्टर फ्रांसेस्को रुबिनो का कहना है कि कोरोना वायरस डायबिटीज का कारण बन सकता है. उन्होंने कहा, 'इस तरह के मामले दुनिया के हर कोने से आ रहे हैं.' अमेरिका का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ इस पर शोध कर रहा है कि कोरोना वायरस किस तरह ब्लड शुगर और डायबिटीज को बढ़ा रहा है.
इन स्थितियों में डायबिटीज के लक्षण अचानक आ सकते हैं जो कि खतरनाक हो सकते हैं. Covid-19 के संपर्क में आने के बाद डायबिटीज का पता लगने में कई महीने भी लग सकते हैं. हालांकि Covid-19 की वजह से डायबिटीज हो सकता है, इस पर अभी और स्टडीज किए जाने की जरूरत है.
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन में चिकित्सा और विज्ञान के अध्यक्ष डॉक्टर रॉबर्ट एकेल ने कहा, 'हमारे पास अभी जवाब से ज्यादा सवाल हैं. हम डायबिटीज के बिल्कुल नए रूप का सामना कर रहे हैं.'
टाइप 1 डायबिटीज तब होती है जब शरीर का इम्यून सिस्टम ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए गलती से इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है. वहीं टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन तो बनता है लेकिन समय के साथ उनकी कोशिकाएं पर इंसुलिन का असर होना कम हो जाता है, जिससे ब्लड शुगर बढ़ जाता है.
टाइप 1 डायबिटीज के मामले पहले भी इन्फ्लूएंजा जैसे अन्य वायरल संक्रमणों से जुड़े रहे हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंफेक्शन की वजह से शरीर पर दबाव पड़ता है और जिसकी वजह से ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है. हालांकि ये ज्यादातर उन लोगों में होता है जिन्हें पहले से ये बीमारी होती है. बहुत कम लोगों को इस इंफेक्शन की वजह से डायबिटीज होती है और वैज्ञानिक इसके पीछे का कारण समझने की कोशिश कर रहे हैं.
टाइप 1 डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों में बहुत प्यास लगना, थकान महसूस होना, बार-बार पेशाब आना और वजन कम होना शामिल हो सकता है. डॉक्टर्स का कहना है कि इन मामलों में टेस्ट की कमी की वजह से भी ये पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि आखिर कोरोना वायरस की वजह से डायबिटीज कैसे हो रहा है.