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दुनिया के इन 7 देशों में है बस साफ हवा, जानिए इनके नाम

स्विस एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी कंपनी IQAir की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में सिर्फ 7 देश ही ऐसे हैं जो साफ हवा के मामले में डब्लूएचओ की गाइडलाइंस पर खरे उतरे हैं. इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, बहमास, आइसलैंड, बारबाडोस, ग्रेनेडा और एस्टोनिया शामिल है. इन देशों में पीएम 2.5 का स्तर 5 माइक्रोग्राम से भी कम है जो इंसान के लिए पूरी तरह सुरक्षित है.

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आजतक लाइफस्टाइल डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 5:45 PM IST

दुनिया में करीब-करीब सभी देशों की हवा सांस लेने लायक नहीं है. स्विस एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी कंपनी IQAir की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में सिर्फ 7 देश ही ऐसे हैं जो साफ हवा के मामले में डब्लूएचओ की गाइडलाइंस पर खरे उतरे हैं. इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, बहामास, आइसलैंड, बारबाडोस, ग्रेनेडा और एस्टोनिया शामिल है. इन देशों में पीएम 2.5 का स्तर 5 माइक्रोग्राम से भी कम है जो इंसान के लिए पूरी तरह सुरक्षित है. 

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भारत, पाकिस्तान, चाड, बांग्लादेश और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो हवा के मामले में सबसे प्रदूषित देशों में शामिल हैं. साल 2024 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की जो गाइडलाइंस थी, उसके मुकाबले इन अधिकतर देशों में पीएम 2.5 का स्तर 10 गुना तक ज्यादा है. वहीं चाड में तो यह आंकड़ा 18 गुना ज्यादा पहुंच रहा है.

डॉक्टर्स की मानें तो इन देशों में पीएम 2.5 का स्तर बेहद खराब है. डॉक्टर्स का कहना है कि हाई ब्लड प्रेशर के बाद प्रदूषित हवा सबसे ज्यादा जानलेवा बन सकती है. वायु प्रदूषण का स्तर खराब होने का असर काफी ज्यादा इंसान के शरीर पर पड़ सकता है. धीरे-धीरे ऐसी हवा शरीर में जहर बन सकती है और शरीर के अंगों को काफी ज्यादा प्रभावित कर सकती है. लेकिन अगर गाइडलाइंस का पालन किया जाए तो ऐसी स्थितियों से बचा भी जा सकता है.

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IQAir के सीईओ फ्रैंक हाम्स कहते हैं कि, वायु प्रदूषण हमें तुरंत नहीं मारता है. अगर स्तर बेहद खतरनाक नहीं है तो शरीर पर इसका असर दिखने में 20 से 30 साल लग जाते हैं. उन्होंने कहा कि, लोगों का जब तक इसका नुकसान समझ आता है, काफी देर हो चुकी होती है.

भारत की अगर बात करें तो यहां के 6 शहर दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शमिल हैं. हालांकि, साल 2023-24 में प्रदूषण के स्तर में 7 फीसदी गिरावट जरूर देखी गई जिसे मामूली राहत कह सकते हैं लेकिन स्थिति अभी भी खतरनाक बनी हुई है. 

यूनिवर्सिटी ऑफ कोपनहेगन में पर्यावरण एक्सपर्ट जोराना एंड्रसन कहती हैं कि सबसे साफ जो महाद्वीप है वहां भी हाल ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि, सरकारों को हवा साफ करने के लिए कुछ नीतियां लानी चाहिए. इनमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना, पैदल या साइकिल चलाने के लिए अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर समेत कई चीजें शामिल हैं. 

रिपोर्ट के अनुसार,  कई अफ्रीकी क्षेत्रों और पश्चिम एशिया में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग भी काफी खराब है. रिपोर्ट में कहा गया कि अमीर देशों के मुकाबले गरीब देशों की हवा ज्यादा प्रदूषित है. उसके बाद भी वहां मॉनिटरिंग काफी खराब है जिस वजह से नागरिकों को नुकसान पहुंच रहा है.

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भारत की साफ हवा भी है काफी ज्यादा खराब 

भारत में कई शहर ऐसे हैं जहां वायु प्रदूषण का स्तर दूसरे शहरों के मुकाबले काफी कम है. लेकिन यह स्तर भी इतना है कि इंसान के लिए भविष्य में खतरनाक हो सकता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पीएम 2.5 के आधार पर जिन शहरों की वायु गुणवत्ता बहुत अच्छी पाई गई उनमें कर्नाटक का मदिकेरी शहर सबसे ऊपर है. यहां पीएम 2.5 का स्तर 44 रिकॉर्ड किया गया जो बाकी अन्य शहरों के मुकाबले काफी कम है. वहीं उत्तर प्रदेश के वाराणसी की हवा भी काफी साफ पाई गई. 

वाराणसी का पीएम 2.5 का स्तर 55 रहा. और भी कई ऐसे भारतीय शहर हैं जिनका वायु प्रदूषण स्तर इन्हीं के आसपास है. लेकिन अगर इन्हें सबसे साफ हवा वाले देशों के मुकाबले देखा जाए तो अभी भी हालत बहुत खराब है. दुनिया में सबसे साफ हवा वाले देशों में पीएम 2.5 का स्तर 5 अंक से भी नीचे है और भारत के जिन शहरों में सबसे साफ हवा है, वहां का पीएम 2.5 का स्तर इन देशों से 8 से 10 गुना ज्यादा है. 
 

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