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हमेशा के लिए टाइप- 1 डायबिटीज से मिल सकता है छुटकारा, चीनी वैज्ञानिकों ने किया दावा

चीनी वैज्ञानिकों ने मूल कोशिका (स्टेम सेल) प्रत्यारोपण के माध्यम से ‘टाइप-1’ मधुमेह के एक पुराने रोगी को ठीक करने का दावा किया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस प्रकिया में रोगी से पहले ही कोशिकाएं लेकर उसमें रासायनिक रूप से कुछ बदलाव किए जाते हैं. फिर इसे मरीज की बॉडी में वापस प्रत्यारोपित किया जाता है.

Diabetes( file pic) Diabetes( file pic)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:33 PM IST

खराब लाइफस्टाइल और खानपान के चलते डायबिटीज के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. इसे गंभीर और क्रोनिक बीमारियों में से एक माना जाता है. आमतौर पर डायबिटीज दो प्रकार के होते हैं- टाइप-1 और टाइप-2.  टाइप-1 डायबिटीज की स्थिति में रोगियों के पैंक्रियाज में इंसुलिन का प्रोडक्शन नहीं होता है. ऐसे में इससे पीड़ित रोगियों को जीवनभर इंसुलिन लेते रहने की आवश्यकता होती है. वहीं,  टाइप-2 डायबिटीज लाइफस्टाइल और खानपान को कंट्रोल किया जा सकता है. अब टाइप-1 डायबिटीज के इलाज तो लेकर एक अच्छी खबर आ रही है. चीनी वैज्ञानिकों ने मूल कोशिका (स्टेम सेल) प्रत्यारोपण के माध्यम से ‘टाइप-1’ डायबिटीज के एक पुराने रोगी को ठीक करने का दावा किया है और इसे विश्व भर में अपनी तरह का पहला मामला बताया गया है.

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सर्जरी में लगा सिर्फ आधे घंटे का समय

चीनी समाचार पत्र ‘द पेपर’ की रिपोर्ट के मुताबिक 25 साल की एक महिला लंबे वक्त से टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित थी. ऐसे में चीनी वैज्ञानिकों ने उसका स्टेम सेल प्रत्यारोपण किया. इस सर्जरी के तकरीबन ढाई महीने बाद ही इस महिला का शुगर लेवल कंट्रोल में आ गया. हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के रिपोर्ट के अनुसार इस सर्जरी में सिर्फ आधे घंटे का समय लगा. 

स्टेम सेल प्रत्यारोपण कर डायबिटीज कंट्रोल करने वाली टीम ने अपने निष्कर्ष को पिछले ही हफ्ते पत्रिका ‘सेल’ में पब्लिश किए. रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन में भाग लेने वालों में ‘तियानजिन फर्स्ट सेंट्रल हॉस्पिटल एंड पेकिंग यूनिवर्सिटी’ के शोधकर्ता भी शामिल थे.

जानें पहले कैसे होता था इलाज

अब तक ‘टाइप-1’ डायबिटीज के रोगियों को ठीक करने के लिए किसी मृत दाता के अग्न्याशय से ‘आइलेट’ कोशिकाओं को निकालकर उन्हें ‘टाइप 1’ मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति के लीवर में प्रत्यारोपित किया जाता रहा है. अग्नाशय में ‘आइलेट’ कोशिकाएं ‘इंसुलिन’ और ‘ग्लूकागन’ जैसे हार्मोन पैदा करती हैं, जो ब्लड में शामिल होकर ‘ग्लूकोज’ के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. हालांकि, डोनर की कमी के चलते ऐसा करना काफी कठिन हो रहा था.

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अब इलाज का क्या है प्रॉसेस

शोधकर्ताओं का कहना है कि अब स्टेम सेल थेरेपी ने डायबिटीज के इलाज के लिए नई संभावनाओं को खोल दिया है. इलाज की इस प्रकिया में रासायनिक रूप से प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम-सेल-ड्राइब्ड आइलेट्स या सीआईपीएससी (CiPSC आइलेट्स) का उपयोग किया जाता है. इस प्रकिया में रोगी से पहले ही कोशिकाएं लेकर उसमें रासायनिक रूप से कुछ बदलाव किए जाते हैं. फिर इसे मरीज की बॉडी में वापस प्रत्यारोपित किया जाता है.

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