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भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर तेजी से फैल रही है. इससे युवा, बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्चे भी सबसे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. ये वायरस हर उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है. डॉक्टर्स के अनुसार, बच्चों में कोरोना वायरस के लक्षण या तो बहुत कम देखे जा रहे हैं या बिल्कुल नहीं दिख रहे. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों में कोरोना वायरस के लक्षणों को पहचानकर इसका समय से इलाज किया जाए ताकि ये बीमारी गंभीर रूप ना ले सके.
केंद्र सरकार के ट्विटर हैंडल MyGovIndia पर इसे लेकर जानकारी साझा की गई है. हेल्थ एक्सर्पट्स के मुताबिक, ज्यादातर बच्चे जो कोविड- 19 से प्रभावित हैं, उनमें सामान्य रूप से हल्का बुखार, खांसी, जुकाम, सांस लेने में दिक्कत, थकान, गले में खराश, दस्त, खाने में स्वाद ना आना, सूंघने की क्षमता कम होना, मांसपेशियों में दर्द होना और लगातार नाक के बहने जैसे लक्षण शामिल हैं. इसके अलावा, कुछ बच्चों में पेट और आंतों से जुड़ी समस्याओं के साथ-साथ कुछ असामान्य लक्षण भी देखे गए हैं.
रिसर्च के मुताबिक, बच्चों में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम नामक एक नया सिंड्रोम भी देखने को मिला है. यह कोई बीमारी नहीं बल्कि लक्षणों पर आधारित एक सिंड्रोम है. कहा जा रहा है कि ज्यादातर बच्चे जो कोविड- 19 से संक्रमित हो हैं, उन्हें हल्के बुखार, सर्दी-जुकाम, दस्त आदि जैसे सामान्य लक्षण होते हैं. लेकिन जो बच्चे मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम से पीड़ित हो रहे हैं, उनमें हृदय, फेफड़े, रक्त वाहिकाएं, गुर्दे, पाचन तंत्र, मस्तिष्क, त्वचा या आंखों में इंफेक्शन और सूजन देखी गई है. बच्चों में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के सामान्य लक्षण जैसे लगातार बुखार आना, उल्टी, पेट में दर्द, त्वचा पर चकत्ते, थकान, धड़कनों का तेज होना, आंखों में लालपन, होंटो पर सूजन, हाथों और पैरों में सूजन, सिरदर्द, शरीर के किसी हिस्से में गांठ बनना शामिल हैं.
हालांकि, अगर घर में कोई कोरोना पॉजिटिव पाया गया है तो ऐसे में जरूरी है कि बच्चों में संक्रमण के लक्षण दिखाई न देने पर भी उनकी स्क्रीनिंग करवाई जाए. इससे बच्चों के कोरोना पॉजिटिव होने का पता आसानी से लगाया जा सकता है. बच्चों में सामान्य लक्षण जैसे गले में खराश, खांसी, मांसपेशियों में दर्द या पेट से जुड़ी समस्याएं होने पर उन्हें जांच की कोई जरूरत नहीं है. ऐसे बच्चों को होम आइसोलेशन में रखकर उनका इलाज किया जा सकता है.
इसके अलावा, फेफड़ों की समस्या, हार्ट डिजीज, क्रॉनिक ऑर्गन डिस्फंक्शन और मोटापा जैसी परेशानियां भी घर में ही मैनेज की जा सकती हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक बच्चों में बुखार आने पर प्रत्येक 4 से 6 घंटे पर पैरासिटामोल 10-15 एमजी/केजी की खुराक ले सकते हैं. गले में खराश या कफ होने पर बच्चे और युवा दोनो ही गर्म पानी में थोड़ा नमक डालकर गरारे कर सकते हैं. बच्चों को ओरल रीहाइड्रेशन सॉल्यूशन और पोषक तत्वों से भरपूर डाइट देनी चाहिए.
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