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Covid-19 JN.1 India updates: देश में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि मंगलवार को भी जारी रही. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को 412 नए कोरोना के मामले सामने आए हैं जिससे देश में एक्टिव मामलों की संख्या 4,170 हो गई है. कर्नाटक में तीन मौतें भी दर्ज की गई हैं. वहीं कोरोना के नए सब-वैरिएंट जेएन.1 के भी 69 मरीज हो गए हैं. इनमें कर्नाटक से 34, गोवा से 14, महाराष्ट्र से 9, केरल से 6, तमिलनाडु से 4 और तेलंगाना से 2 मामले सामने आए हैं. देश के कुल 4170 कोरोना मरीज देश के 21 राज्यों में हैं. इनमें से सबसे अधिक 3096 मरीज केरल में ही हैं.
एक्सपर्ट का कहना है कि देश में कोरोना के मामले अगले हफ्ते बढ़ सकते हैं और जनवरी के पहले हफ्ते में कोरोना के मरीजों की संख्या दोगुनी भी हो सकती है. इसका कारण क्रिसमस और नए साल में होने वाली भीड़-भाड़ को बताया गया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ऑफिसर्स ने यह आशंका इन्साकांग की रिपोर्ट के आधार पर जताई है, जिसमें बताया है कि कोरोना वायरस का नया सब-वैरिएंटजेएन.1 भारत के 7 राज्यों में फैल गया है. नवंबर में जेएन.1 के मामले सिर्फ केरल, कर्नाटक और गोवा में ही थे लेकिन अब यह अन्य राज्यों में फैल चुका है. महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गोवा, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, राजस्थान तक यह जेएन.1 पहुंच चुका है.
तेजी से फैलता है वैरिएंट
विशेषज्ञों का कहना है कि अन्य वैरिएंट्स की अपेक्षा जेएन.1 सब-वैरिएंट तेजी से फैलता है. इसका कारण है कि इस वैरिएंट में एक एक्स्ट्रा म्यूटेशन है और इस कारण यह मजबूत इम्यूनिटी और वैक्सीनेटेड लोगों को भी आसानी से संक्रमित कर रहा है. ऐसे में आशंका है कि क्रिसमस और नए साल के कारण जनवरी के पहले सप्ताह में उछाल दिखाई देगा जो तीन हफ्ते तक दिख सकता है. इससे पहले कोरोना के मामले कम होने की उम्मीद नहीं है.
अन्य वैरिएंट भी उभर सकते हैं
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में एक्टिव कोविड-19 मामलों में हुई वृद्धि बीए.2.86 जैसे अन्य वैरिएंट के कारण भी हो सकती है, न कि केवल जेएन.1 सब-वैरिएंट के कारण. इसलिए अन्य वैरिएंट्स और सब-वैरिएंट्स पर भी नजर रखनी जरूरी है.
महामारी एक्सपर्ट, पूर्व ICMR साइंटिस्ट और कोविड-19 टास्क फोर्स के मेंबर डॉ. रमन आर गंगाखेडकर ने कहा, 'हमारे पास जो भी जानकारी है, उसके आधार पर अभी ऐसा लगता है कि अन्य वैरिएंट्स की तुलना में जेएन.1 एक बार में कई लोगों को संक्रमित कर सकता है. भारत में यह वायरस मौजूद है और इसके साथ अन्य वैरिएंट्स भी है जो संक्रमण का कारण बन सकता है. हल्के लक्षणों वाले कई मामलों को सामान्य समझा जा रहा है इसलिए यह कहना भी मुश्किल है कि यह कितना खतरनाक है.'
ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. ललित कांत कहते हैं, 'कोरोना के मामलों में उछाल जेएन.1 और बीए.2.86 दोनों वैरिएंट के कारण हो सकती है. यह आवश्यक नहीं है कि अब जो भी मामले सामने आ रहे हैं, वे JN.1 स्ट्रेन के कारण ही हों. वैरिएंट घूमते रहते हैं और म्यूटेट होकर अपना रूप बदलते रहते हैं. लेकिन पिछले मामलों को देखकर लगता है कि केवल एक वैरिएंट ही अधिक फैलेगा जो JN.1 हो सकता है लेकिन इस बारे में अभी कन्फर्म कहना मुश्किल है क्योंकि देश में अभी डेटा कम है.'
जनवरी में बढ़ते हैं केस
एक्सपर्ट्स ने जब डेटा देखा तो उन्होंने कहा, 2020 से 2022 और पिछले पांच हफ्तों को देखकर कहा जा सकता है कि जनवरी के महीने में कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी जाती है. 2022 में भी ओमिक्रॉन के कारण दिसंबर और जनवरी में मामले बढ़े थे और फरवरी में कम होने लगे थे.
हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह
हेल्थ एक्सपर्ट्स लोगों को सावधानी रखने की सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि केरल और कर्नाटक में संक्रमण दर अधिक होने के बावजूद पहले जैसी स्थिति नहीं है. केंद्र सरकार ने भी आने वाले खतरे से निपटने के लिए उचित प्रबंध कर लिए हैं इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है. खास तौर पर यदि खांसी, जुकाम, बुखार वाले मरीज और जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, उन लोगों को घर पर ही रहने की सलाह दी जा रही है.
बूस्टर डोज की जरूरत नहीं
सरकार अभी तक कोविड-19 के खिलाफ बूस्टर डोज की प्लानिंग नहीं कर रही है. हेल्थ मिनिस्ट्री के ऑफिसर्स के मुताबिक, सरकार लगातार कोविड की निगरानी कर रही है और अब तक उपलब्ध सबूतों के आधार पर यही कहा जा सकता है कि अभी बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है.
हेल्थ मिनिस्ट्री के एक सीनियर ऑफिसर के मुताबिक, 'कोविड-19 के सब-वैरिएंट जेएन.1 से संक्रमित होने वाले लोगों में भी हल्के लक्षण नजर आ रहे हैं. वे लोग घर ही ठीक हो रहे हैं. इससे पता चलता है कि पिछला इंफेक्शन और वैक्सीनेशन गंभीर बीमारी को रोकने के लिए पर्याप्त है और अभी बूस्टर डोज की जरूरत नहीं.' आईसीएमआर के एमेरिटस वैज्ञानिक डॉ. एनके मेहरा ने भी बूस्टर खुराक लेने की अभी सलाह नहीं दी.
जेएन.1 वैरिएंट के बारे में यह भी जानें
अतिरिक्त स्पाइक प्रोटीन के साथ JN.1, BA.2.86 की तुलना में अधिक संक्रामक है. यह ओमिक्रॉन के वैरिएंट से बना है और BA.2.86 का सब-वैरिएंट है जिसे पहली बार भारत में अगस्त 2023 में पहचाना गया था. दोनों वेरिएंट में समान विशेषताएं हैं, लेकिन JN.1 में अतिरिक्त स्पाइक प्रोटीन इसे अधिक संक्रामक बनाते हैं. यह 4 महीने में ही यह करीब 41 देशों में फैल चुका है.
मुंबई के हिंदुजा अस्पताल के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट और महामारी विशेषज्ञ डॉ. लैंसलॉट पिंटो ने जेएन.1 की पहचान के लिए और अधिक रिसर्च पर जोर दिया है. उन्होंने कहा, ‘यह नया वैरिएंट ओमिक्रॉन के पूर्ववर्ती सब-वैरिएंट बीए.2.86 से काफी मिलता-जुलता है जो केवल एक स्पाइक प्रोटीन में अलग होता है. यही कारण है कि यह संक्रामक हो सकता है और तेजी से फैल सकता है.'
जेएन.1 सब-वैरिएंट के लक्षण
सीडीसी का कहना है, 'अभी तक मौजूद डेटा से यह पता नहीं चल पाया है कि जेएन.1 सब-वैरिएंट के लक्षणों में कुछ बदलाव हुआ है या फिर इसके लक्षण भी पहले सामने आए अन्य वैरिएंट या सब-वैरिएंट की ही तरह हैं. लेकिन अमेरिका में अधिकतर लोगों ने कुछ कॉमन लक्षणों के बारे में बताया है और वह पॉजिटिव निकले. सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, बुखार, ठंड लगना, खांसी, थकान, मांसपेशियों में दर्द, स्वाद या गंध की हानि, गले में खराश, मतली, उल्टी और दस्त JN.1 के कॉमन लक्षण बताए गए हैं.