
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मामले पूरी दुनिया में काफी संख्या में सामने आ रहे हैं. इन सबके बीच बार-बार एक ही बात सुनने में आ रही है कि ओमिक्रॉन डेल्टा की तरह गंभीर नहीं है और इसकी वजह से हल्की बीमारी ही हो रही है. कई लोग ये भी कह रहे हैं कि ओमिक्रॉन का संक्रमण महज सर्दी-जुकाम की तरह हो गया है. जाहिर तौर पर ऐसे दावे शुरुआती आंकड़ों के आधार पर किए जा रहे थे. दक्षिण अफ्रीका में भी अब Covid-19 की वजह से मौत के मामले सामने आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स इन नए आंकड़ों का हवाला देकर लोगों को ओमिक्रॉन को हल्के में ना लेने की सलाह दे रहे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओमिक्रॉन को हल्का समझने की राय बहुत जल्दी बना ली गई.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स- महामारी विशेषज्ञ एरिक फीगल-डिंग ने ट्विटर पर लिखा, ' ऐसा लगता है कि कुछ लोगों ने #Omicron को जल्द ही हल्के में ले लिया है. इसे 'माइल्ड' कहना बंद कर दें. अपनी कम्यूनिटी और बच्चों को बचाएं.' इसके साथ ही उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में कोरोना से हो रही मौतों का नया ग्राफ शेयर किया है. हालांकि अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि ये मौतें ओमिक्रॉन की वजह से हुई हैं या नहीं. बता दें कि ओमिक्रॉन की पहचान पिछले साल नवंबर में सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में ही की गई थी. उसके बाद से ये पूरी दुनिया में फैल चुका है.
वैज्ञानिक विलियम कू ने भी ट्विटर पर अमेरिका में अस्पताल में भर्ती होने के वालों का एक डेटा शेयर किया है. उन्होंने लिखा, 'अमेरिका ने Covid-19 से अस्पताल में भर्ती होने वालों का एक नया रिकॉर्ड बनाया है, वर्तमान में यहां 1,38,073 लोग अस्पताल में भर्ती हैं. ICU में रहने वालों की संख्या अब 22,394 है. ये आंकड़ा 7 सप्ताह पहले की तुलना में दोगुना है. मौतें भी बढ़ रही हैं. क्या ये 'हल्के' संक्रमण के संकेत हैं?'
डॉ एरिक ने कहा कि ये एक सरल गणित की तरह है जहां लगातार बढ़ती चीज हल्की चीज को खत्म करने लगती है. अगर आपके पास 2-3 सप्ताह के भीतर 10 गुना, 20 गुना ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, तो आपको 2 गुना कम माइल्ड से कोई बहुत फायदा नहीं मिलेगा. यही वजह है कि ओमिक्रॉन की वजह से भी अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या बढ़ रही है. WHO भी कह चुका है कि ओमिक्रॉन को हल्की बीमारी की श्रेणी में नहीं डालना चाहिए. WHO प्रमुख टेड्रोस ने हाल ही में कहा था, 'पिछले वैरिएंट की तरह ओमिक्रॉन भी लोगों को अस्पताल में भर्ती कर रहा है और इसकी वजह से लोग मर रहे हैं. वास्तव में, इसकी सुनामी इतनी बड़ी और तेज है कि यह दुनिया भर में हेल्थ सिस्टम पर भारी पड़ रही है.'
WHO के इमरजेंसी चीफ डॉक्टर माइकल रेयान ने कहा कि ओमिक्रॉन को कोरोना के प्रकोप का अंतिम वैरिएंट समझने की सोच काल्पनिक है. इस वायरस में अभी भी बहुत ऊर्जा है. कई डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स के अनुसार ओमिक्रॉन फेफड़ों पर हमला नहीं करता है. इसलिए इसका प्रभाव कम गंभीर लगता है. युवा और वैक्सीन वाले लोग इससे जल्द ही ठीक हो सकते हैं, लेकिन बूढ़े और पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए ओमिक्रॉन उतना 'हल्का' नहीं हो है जितना कि अनुमान लगाया जा रहा है.