
ओमिक्रॉन की वजह से पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया है. कोरोना का ये नया वैरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था. यहां के वायरोलॉजिस्ट वोल्फगैंग प्रीजर ने सबसे ओमिक्रॉन की पहचान की थी. स्थानीय मीडिया को दिए इंटरव्यू में प्रोफेसर वोल्फगैंग तेजी से बढ़ते Covid-19 के मामलों और नए वैरिएंट के बारे में काफी हैरानी करने वाली जानकारी दी है. उन्होंने एक बड़ी आबादी के ओमिक्रॉन से संक्रमित होने की बात कही है.
प्रोफेसर वोल्फगैंग ने चेतावनी देते हुए कहा, 'ये नया वैरिएंट बहुत ज्यादा संक्रामक है. इस वैरिएंट के इंफेक्शन से बचना लगभग असंभव है.' इससे पहले उन्होंने अनुमान लगाया था कि दक्षिण अफ्रीका में जल्द ही इसके मामले कम हो जाएंगे. वहां ओमिक्रॉन के केसेज में अब तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है. प्रोफेसर वोल्फगैंग ने लोगों को आगाह करते हुए कहा, 'पहले के स्ट्रेन की तुलना में ओमिक्रॉन भले ही कम खतरनाक हो लेकिन हम अभी भी मरीजों को इस वैरिएंट से मरता देख रहे हैं.'
ओमिक्रॉन से बचना मुश्किल- ओमिक्रॉन का पहला मामला नवंबर में पाया गया था. इसके बाद से पूरी दुनिया में इसके मामले दोगुनी तेजी से बढ़े हैं. शुरुआती डेटा से पता चलता है कि अन्य वैरिएंट्स की तुलना मे ओमिक्रॉन हल्की बीमारी ही करता है लेकिन फिर भी वैज्ञानिक इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि केसेज बढ़ने का दबाव हेल्थ सिस्टम पर पड़ सकता है. प्रोफेसर वोल्फगैंग ने कहा, 'अभी तक ये सामान्य सर्दी-जुकाम वाला वायरस साबित नहीं हुआ लेकिन अच्छी खबर ये है कि ये उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है. हालांकि, बुरी खबर ये है कि इस तरह के वैरिएंट के संक्रमण से बचना असंभव होगा.'
प्रोफेसर वोल्फगैंग ने कहा, 'हमने देखा है कि ये कितनी तेजी से फैलता है और कितनी तेजी से इसके संक्रमितों की संख्या बढ़ती है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इसके कई मरीज एसिम्टोमैटिक हैं जो बीमारी को फैलाने का काम करते हैं. मैं कहूंगा कि अगले कुछ महीनों में अधिकांश आबादी इससे संक्रमित होगी.' उन्होंने कहा कि जिस तरह से केसेज बढ़े हैं, अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या फिर भी कम है.
प्रोफेसर वोल्फगैंग ने कहा, 'हम इस बात से बेहद चिंतित थे कि ये नवंबर के अंत में फेस्टिवल के समय यहां शुरू हुआ. उस समय अस्पताल में भर्ती होने वाले गंभीर मामलों की ज्यादा संख्या का अंदाजा लगाया गया था. अच्छी बात है कि हमारे यहां इसका पीक आ चुका है और अब हमारे यहां स्पष्ट रूप से संख्या नीचे की तरफ जा रही है. हमारे यहां अस्पताल में भर्ती होने की दर भी काफी कम रही है, हमने बहुत कम गंभीर मामले देखे हैं.'
हालांकि, प्रोफेसर वोल्फगैंग ने इसके पीछे एक और वजह बताई. उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के अधिकांश लोग पिछले दो साल में वायरस के संपर्क में आ चुके हैं और इसकी वजह से उनमें पहले से ही एंटीबॉडी है.