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पहले की तुलना में अब दुनियाभर में डायबिटीज का खतरा काफी ज्यादा बढ़ने लग गया है. डायबिटीज एक ऐसी समस्या है जो बूढ़ों, जवान, बच्चे किसी को भी, किसी भी उम्र में हो सकती है. दुनियाभर में डायबिटीज के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि 2045 में यह संख्या बढ़कर 13 करोड़ के करीब हो जाएगी.
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों को फिजिकल एक्टिविटी के लिए बहुत कम समय मिल पाता है. इसके साथ ही समय ना हो पाने के चलते लोग अपने खानपान पर भी सही तरीके से ध्यान नहीं दे पाते हैं, जिसके चलते डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
डायबिटीज के चलते कई तरह की स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसमें शामिल हैं किडनी रोग, दिल से जुड़ी बीमारियां, नर्व रोग और ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं.
डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर और अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करने से आप इस बीमारी से बच सकते हैं. डायबिटीज की समस्या होने पर इसके कुछ लक्षण दिखने लगते हैं. जैसे बार-बार पेशाब आना, भूख लगना, गला सूखना, वजन कम होना, हाथ-पैर सुन्न होना.
इसके अलावा डायबिटीज होने पर स्किन पर भी इसके कुछ लक्षण दिखाई देते हैं. अगर आपको स्किन से जुड़ी किसी समस्या या बीमारी का सामना करना पड़ रहा है तो यह शुगर लेवल अनियंत्रित होने का संकेत हो सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्किन पर भी डायबिटीज के कुछ लक्षण नजर आते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप इन लक्षणों को नजरअंदाज ना करें और डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें.
सूजी हुई और लाल स्किन- ऐसा बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से हो सकता है क्योंकि इसकी वजह से स्किन में जलन होती है जिससे आपकी स्किन काफी ज्यादा गर्म, सूजी हुआ और लाल पड़ने लगती है. इसके अलावा बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से काफी ज्यादा दर्द का भी सामना करना पड़ता है. सबसे आम बैक्टीरियल इंफेक्शन में शामिल हैं- स्टैफ इंफेक्शन.
चकत्ते पड़ना और फफोले- ये फंगल इंफेक्शन के कारण हो सकते हैं. कैंडिडा एल्बीकैंस के कारण होने वाला यीस्ट जैसा फंगल इंफेक्शन डायबिटीज के लोगों को प्रभावित करने वाला सबसे आम फंगल इंफेक्शन है. इस फंगस के कारण स्किन पर चकत्ते पड़ना और फफोले की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. सबसे आम फंगल इंफेक्शन में शामिल हैं- उंगलियों के बीच होने वाला इंफेक्शन, वजाइनल इंफेक्शन, खुजली और दाद
खुजली- यह डायबिटीज के मरीजों में स्किन पर होने वाली सबसे आम समस्या है. ऐसा शरीर में खराब सर्कुलेशन, शुष्क त्वचा और इंफेक्शन के कारण होता है खासतौर पर पैर के निचले हिस्से में.
डार्क, मखमली और स्किन का रंग बदलना- इसे एसेंथोसिस निगरिकन्स कहा जाता है. इसके कारण स्किन का रंग बदलने लगता है और स्किन काली,मखमली दिखने लगती है. डायबिटीज की समस्या होने पर स्किन पर भूरे, काले रंग के धब्बे बनने लगते हैं जो छूने में काफी मखमली लगते हैं. ये धब्बे गर्दन, बगल, कमर, हाथ, कोहनी औप घुटनों पर हो सकते हैं.
डायबिटिक छाले- हालांकि यह समस्या काफी रेयर है लेकिन डायबिटीज के छाले उन मरीजों में होते हैं जो पहले से ही डायबिटिक न्यूरोपैथी से प्रभावित होते हैं. डायबिटिक न्यूरोपैथी में, अनियंत्रित डायबिटीज आपकी नसों को प्रभावित कर सकता है और नुकसान पहुंचा सकता है. ये छाले उंगलियों, हाथ, पैर की उंगलियों, टांगों पर हो सकते हैं और अपने आप ही ठीक भी हो जाते हैं.
डायबिटिक अल्सर- शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने के कारण नर्व्स डैमेज होने लगती है और सर्कुलेशन भी खराब होने लगता है जिसके चलते डायबिटिक अल्सर की समस्या का सामना करना पड़ता है. शरीर में इंसुलिन का हाई लेवल इन घावों को भरने नहीं देता. ऐसे में इन खुले घावों को डायबिटिक अल्सर कहा जाता है और पैरों में इस समस्या का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है. ये खुले घाव स्थायी क्षति (Permanent Damage) का कारण बन सकते हैं और इलाज न करने पर शरीर के अंगों को काटने तक की नौबत आ सकती है.