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Heart attack: एक्सरसाइज करने से क्यों आ रहा हार्ट अटैक? साइलेंट किलर बनी ये एक वजह, डॉक्टर से जानिए

पिछले कुछ समय में कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के मामले काफी अधिक बढ़ गए हैं. इनमें से कई मामले ऐसे हैं जिनमें लोगों को एक्सरसाइज के दौरान हार्ट अटैक आया. एक्सरसाइज करते समय हार्ट अटैक के मामले क्यों सामने आ रहे हैं? जिम में एक्सरसाइज करना कितना सुरक्षित है? इस बारे में हार्ट स्पेशलिस्ट का क्या कहना है? इस बारे में आर्टिकल में जानेंगे.

सांकेतिक फोटो (Image credit: Getty images) सांकेतिक फोटो (Image credit: Getty images)
मृदुल राजपूत
  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:35 PM IST

Heart Attack: देश में बीते कुछ समय में हार्ट अटैक से मौत होने की घटनाएं तेजी से बढ़ी रही हैं. पहले जहां हार्ट अटैक को बड़े-बूढ़ों की बीमारी माना जाता था, वहीं आज कम उम्र के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. हाल ही में कुछ ऐसी घटनाएं ऐसी भी सामने आई हैं जिनमें लोगों को जिम में एक्सरसाइज करते समय हार्ट अटैक आया और कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई. जैसे, राजू श्रीवास्तव को जिम में एक्सरसाइज करते समय हार्ट अटैक आया था और कुछ समय पहले टीवी के मशहूर एक्टर सिद्धांत वीर सूर्यवंशी को भी जिम में वर्कआउट करते समय हार्ट अटैक आया था और उनकी मौत हो गई थी. वहीं गाजियाबाद में एक 35 साल के जिम ट्रेनर की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी और एक युवक एक्सरसाइज करके घर पहुंचा और सीने में दर्द के बाद सीढ़ियों से गिरकर उसकी मौत हो गई. 

कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों ने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है और कई लोगों ने इन सब खबरों के सामने के बाद जिम से दूरी भी बना ली है. अब लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर जिम जाने वालों को हार्ट अटैक और कार्डियोवैस्कुलर संबंधित बीमारियां क्यों हो रही हैं और इसके जोखिम को कैसे कम किया जा सकता है? 

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लोगों के मन में पैदा हुए डर और शंकाओं के समाधान के लिए हमने दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डिएक साइंसेज, कार्डियोलॉजी, कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी-पेसमेकर के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. चंद्रशेखर (Dr. Chandrashekhar) से बात की और उनसे जाना कि आज के समय में जिम जाने वाले लोगों में हार्ट अटैक के मामले इतने अधिक क्यों बढ़ रहे हैं?

इसलिए बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. चंद्रशेखर (Dr. Chandrashekhar)

डॉ. चंद्रशेखर बताते हैं, "भारत में हार्ट अटैक के बढ़के हुए मामलो में अधिकतर लोगों की उम्र 30-40 से भी कम देखी जा रही है. कोरोना महामारी के बाद से लोगों में हार्ट संबंधित बीमारियों का जोखिम काफी अधिक बढ़ गया है क्योंकि कोविड-19 वायरस के कारण रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसिल्स) में ब्लड क्लॉट (खून के थक्के) बनने लगे हैं. इस कारण से हार्ट संबंधित बीमारियों के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. इसके अलावा कोरोना महामारी में सुस्त लाइफस्टाइल, गलत खान-पान और स्ट्रेस लेवल बढ़ने से भी हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ा है. लोग स्ट्रेस के कारण स्मोकिंग, ड्रिंकिंग शुरू कर देते हैं जो हार्ट संबंधित बीमारियों के लिए जिम्मेदार होता है. जो लोग फिटनेस फ्रीक हैं या रोजाना जिम जाते हैं उन लोगों को यह नहीं समझना चाहिए कि वह पूरी तरह से फिट हैं. कई लोगों का शरीर ऊपर से तो फिट दिखता है लेकिन अंदर से काफी कमजोर या बीमार होता है. अब उस कमजोर शरीर पर अगर जरूरत से अधिक लोड डाला जाएगा तो वह सही से रिस्पांस नहीं करेगा या फिर असामन्य तरीके से रिस्पांस करेगा."

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डॉ. चंद्रशेखर ने उदाहरण देते हुए कहा, "मानकर चलें कि एक व्यक्ति जो 2-3 साल से रनिंग कर रहा है. उसे अगर पांच किलोमीटर रनिंग करने के लिए बोला जाए तो वह आसानी से कर लेगा क्योंकि वह 2-3 साल से प्रैक्टिस कर रहा है. वहीं अगर किसी ऐसे व्यक्ति से पांच किलोमीटर रनिंग करने के लिए कहा जाए जिसने कुछ हफ्ते पहले ही रनिंग शुरू की है तो वह रनिंग नहीं कर पाएगा.  शरीर पर जरूरत से अधिक दवाब डालना थकान, सांस फूलना और हृदय में ऑक्सीजन की आपूर्ति को प्रभावित करता है जिससे हार्ट अटैक या सडन कार्डियक डेथ का जोखिम बढ़ सकता है."

डॉ. चंद्रशेखर आगे कहते हैं, "आज के समय में यंगस्टर्स जिम फिटनेस या एब्स बनाने के लिए जाते हैं. युवाओं को यह जानने की जरूरत है कि सिक्स पैक एब्स बनाने से फिटनेस नहीं होती. फिटनेस का मतलब है कि आप अपने डेली रूटीन के काम कितनी आसानी से करते हैं, आपका शरीर कितना स्वस्थ है, कोई बीमारी ना हो, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहे. यंगस्टर्स जिम में जाकर दूसरों को देखकर ईगो लिफ्टिंग करते हैं और शरीर पर क्षमता से अधिक लोड डाल देते हैं. इस हालत में आपका शरीर कोलेप्स हो जाता है और विभिन्न समस्याएं होने लगती हैं."

बॉडी बिल्डिंग सप्लीमेंटेशन भी है जिम्मेदार  

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डॉ. चंद्रशेखर बॉडी बिल्डिंग या फिटनेस इंडस्ट्री में प्रयोग होने वाले सप्लीमेंट के अधिक प्रयोग पर चेतावनी देते हुए कहते हैं, "आज के समय में जिम में कम उम्र के युवा भी सप्लीमेंट का काफी अधिक प्रयोग कर रहे हैं. वे सप्लीमेंट हर बॉडी टाइप के लिए सही हैं या नहीं? उनके साइड इफेक्ट क्या हैं? उनका प्रयोग कैसे करना है? इस बारे में जाने बिना ही जल्दी बॉडी बनाने के चक्कर में उनका प्रयोग करना शुरू कर देते हैं. अगर सप्लीमेंट नकली है, ओवरडोज लिया है या फिर शरीर के लिए वह उपयुक्त नहीं है. अगर इन सब बातों को जानने के बाद भी अगर कोई सप्लीमेंट्स का यूज करेगा तो उसकी हार्ट रेट हाई होगी, ब्लड प्रेशर बढ़ेगा और हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाएगा.”

अचानक हार्ट रेट बढ़ना खतरनाक

डॉ. चंद्रशेखर बताते हैं, "अक्सर देखा जाता है कि लोग जिम में एक्सरसाइज करने जाते हैं तो वह बिना वॉर्मअप किए ट्रेडमिल पर दौड़ना शुरू कर देते हैं. अब ऐसे में आपकी बॉडी का हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर नॉर्मल या रेस्ट की पोजीशन में था. ट्रेडमिल पर अचानक से दौड़ना शुरू करने पर हार्ट रेट काफी जल्दी बढ़ेगी और कोलेप्स होने का जोखिम काफी अधिक बढ़ जाएगा. यह हार्ट संबंधित बीमारियों का सबसे अहम कारण है.”

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क्या जिम में एक्सरसाइज करना कितना सुरक्षित?

डॉ. चंद्रशेखर बताते हैं, "एक्सरसाइज करने से शरीर को कई फायदे होते हैं और हर इंसान को कम से कम रोजाना 30-45 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए. एक्सरसाइज का मतलब यह नहीं कि जिम में जाकर हैवी वजन ही उठाएं. एक्सरसाइज से मतलब फिजिकल एक्टिविटी से हैं. आप साइकिलिंग, स्विमिंग, गार्डनिंग, वॉकिंग, जिमिंग या कोई भी फिजिकल एक्टिविटी कर सकते हैं. अगर कोई जिम में जाकर एक्सरसाइज कर रहा है तो उसे सीधे जाकर हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज या ऐसे वर्कआउट करने से बचना चाहिए जिससे हार्ट रेट अचानक से बढ़ जाती है. हमेशा अपने शरीर के क्षमता के मुताबिक ही एक्सरसाइज करें."

डॉ. चंद्रशेखर ने आगे बताया, "उदाहरण के लिए अगर कोई एक साल से एक्सरसाइज कर रहा है और 50 किलो वजन उठा रहा है तो वह प्रैक्टिस से उठा रहा है. वहीं अगर आप दो हफ्ते जिम गए हैं और इतना अधिक वजन उठाने की कोशिश करेंगे तो जाहिर सी बात है कोई ना कोई इंजरी होगी ही. इसलिए किसी भी एक्सरसाइज को करते समय अपनी शारीरिक क्षमता जरूर देखें. कोई भी कार्डियोवैस्कुल एक्टिविटी जैसे रनिंग, हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज आदि को 10 मिनट से अधिक ना करें. पहले इन एक्सरसाइज को 2 मिनिट से शुरू करें और फिर हर हफ्ते थोड़ा-थोड़ा समय बढ़ाते जाएं. एक्सरसाइज और उसकी सीमा को किसी सर्टिफाइड फिटनेस कोच के अंडर में रहकर ही बढ़ाएं. वहीं जरूरत लगे तो किसी डॉक्टर से मिलें और उन्हें अपनी फिजिकल एक्टिविटी से अवगत कराएं.”

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खान-पान पर भी दें ध्यान

डॉ. चंद्रशेखर के मुताबिक, लोगों की जीवनशैली में बदलाव भी भारत में हार्ट संबंधित बीमारियों का एक कारण है. शारीरिक गतिविधि की कमी, कार्ब युक्त भोजन, अनहेल्दी, प्रोसेस्ड, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स हार्ट संबंधित बीमारियों को न्यौता देता है. इंडियन फूड में लगभग 86 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है. प्रोटीन, हेल्दी फैट और फाइबर वाले फूड्स को अपनी डाइट में जोड़ें. स्नोकिंग हार्ट संबंधित बीमारियों का सबसे बड़ा कारण है.

अगर कोई शराब पीता है तो उससे उसका बीपी और हार्ट रेट बढ़ जाता है जिसके कारण हार्ट संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है इसलिए हमेशा हेल्दी लाइफस्टाइल रखें और गलत खाने-पीने की चीजों से दूर रहें. कम से कम 7-8 घंटे की गहरी नींद लें और तनाव बिल्कुल ना लें. इन सभी बातों को फॉलो करने से हार्ट संबंधित बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है.”

 

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